जयपुर। राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली की अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर की गई टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को सदन में जोरदार हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही लगातार तीन बार करीब दो घंटें तक स्थगित करनी पड़ी।
शून्यकाल में आज जूली गुरुवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की टिप्पणी के बाद हंगामें एवं उत्पन्न स्थिति पर बोलने के लिए खड़े हुए और अपनी बात रखी। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल एवं सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने भी अपनी बात रखी और अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी बोले।
गुरुवार को जूली के अध्यक्ष को धृतराष्ट्र बताने पर देवनानी ने कहा कि इस पर माफी मांगनी चाहिए और किसी को लगता है कि वह निष्पक्ष नहीं है तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता हैं। इसके बाद जूली ने अपनी बात रखते हुए अध्यक्ष से माफी मांगी और कहा कि जरुरत पड़ने पर अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। इस पर देवनानी ने कहा कि चुनौती देते हो तो अविश्वास प्रस्ताव लाइए और दोनों पक्षों के सदस्यों के खड़े होकर बाेलने से सदन में जोरदार हंगामा हुआ। इस पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 12 बजकर 28 मिनट पर एक घंटे के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले शुरु में जूली ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग नेता प्रतिपक्ष का सम्मान नहीं करते जबकि नेता प्रतिपक्ष हर सवाल में पूरक प्रश्न पूछ सकता हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन सवाल पूछने पर जवाब नहीं आता हैं। कल जो घटना हुई उसमें अध्यक्ष का झुकाव हमारी तरफ ज्यादा होना चाहिए लेकिन सत्ता पक्ष की तरफ ज्यादा था। उन्होंने कहा कि हम न्यायालय तो जा नहीं सकते। हम अपनी बात आपको ही कह सकते हैं। आपका संरक्षण चाहते हैं। इस पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कुछ सदस्यों के बोलने पर शोरशराबा हुआ। उन्होंने कहा कि वे अध्यक्ष का सम्मान करते हैं पर चाहते हैं कि दोनों पक्षों को वे बराबर रखे।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सत्तापक्ष के सभी सदस्य विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं लेकिन निवेदन हैं कि अगर प्रतिपक्ष के नेता बार बार बीच में खड़े हो जाते हैं, ऐसे में उनका सम्मान नहीं हो पाता है। उन्होंने अध्यक्ष के आसन को विक्रमादित्य का आसन बताते हुए कहा कि अध्यक्ष ने सबके साथ न्याय करने का प्रयास किया है।
आसन पर टीका टिप्पणी नहीं करके आसन की गरिमा मिलकर रहने से रहेगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि मंत्री पूरा जवाब नहीं देते हैं, यह असत्य हैं, मंत्री पूरा जवाब देते हैं लेकिन जब अनावश्यक बात पूछी जाती है तब विवाद पैदा हो जाता है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य मर्यादा एवं सीमा में हैं। उन्होंने कहा कि सदन में नई और स्वस्थ परम्पराएं कायम करनी चाहिए।
इस पर जूली फिर खड़े हुए कहा कि फिर गेंद हमारे पाले में डाली जा रही है। मैं सदन में 70 सदस्यों की आवाज उठाता हूं, एक शब्द भी सदन की गरिमा के खिलाफ नहीं बोला है। इस पर सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने आश्वस्त करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में असम्मान जैसी स्थिति पैदा नहीं करेगा लेकिन आसन पर छींटाकसी नहीं करनी चाहिए।
इस दौरान निर्दलीय विधायक यूनुस खान ने कहा कि हम भी निर्दलीय सहित यहां 14 लोग बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सदन में विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के जो जवाब आते हैं। उनके पास 19 सवालों के जवाब आए उनमें 17 सवालों के जवाब मंत्रियों द्वारा गलत दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि या तो अधिकारी गुमराह कर रहे हैं यहा मंत्री सवालों के जवाब पढ़ नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुबह एक सवाल का जवाब मिला वह अच्छा था। उन्होंने निवदेन करते हुए कहा कि मंत्रियों को सवालों के जवाब का अध्ययन करके जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम 14 लोगों को भी सदन में बोलने दिए जाने का समय दिया जाना चाहिए। इस पर पटेल ने कहा कि वह इस बात का खण्डन करते हैं कि मंत्री जवाब का अध्ययन नहीं करते, मंत्री अध्ययन करते हैं और फिर जवाब देते हैं।