चित्तौड़गढ़। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ में पंद्रह वर्ष पूर्व होली पर हुए साम्प्रदायिक दंगे में लिप्त 27 आरोपियों को गुरुवार को न्यायालय ने बरी कर दिया।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में चली सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनोद बैरवा ने निर्णय देते हुए अदालत में उपस्थित दोनों पक्षों के 27 आरोपियों को दंगा करने, साम्प्रदायिक सदभाव बिगाड़ने, आगजनी एवं पत्थरबाजी के सभी आरोपों में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
तीन आरोपियों की इस दौरान मौत हो गई जबकि अकालु, जाकिर और शाहिद अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर होने पर उनके विरुद्ध मामला खुला रखा गया है। ये सभी बंगाल निवासी है। अभियोजन पक्ष ने इस दौरान कुल 90 गवाह पेश किए, लेकिन एक भी गवाह स्वतंत्र नहीं था जिसका लाभ आरोपियों को मिला। कुल 33 आरोपियों में 17 हिंदू एवं 16 मुस्लिम थे।
मामले के अनुसार 22 मार्च 2008 को धुलंडी के अवसर पर शाम को अचानक शहर में साम्प्रदायिक दंगा भड़क गया जिसमें दोनों पक्षों की ओर से जमकर दुकानों एवं वाहनों में आगजनी की गई, पत्थरबाजी चाकूबाजी में दर्जनों लोग एवं पुलिसकर्मी घायल हुए।