अजमेर। भगवान श्री हरि के सम्मुख कोई भी छोटा बड़ा अमीर गरीब नहीं है। वे सभी को एक ही दृष्टि से देखते हैं। यह बात प्रज्ञा चक्षु संत ध्यानीराम महाराज ने नला बाजार स्थित रामद्वारा में आयोजित नानी बाई मायरा कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
महाराज ने प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए कहा कि नरसी भगत की पुत्री नानी बाई की बेटी का विवाह है। उनके सगे श्री रंग जी ने उन्हें कुमकुम पत्रिका भेजी और सह परिवार आने का न्योता दिया। न्योते में कहा गया कि दोहिती का विवाह है ठीक-ठाक भात लाना।
कुमकुम पत्रिका लाने वाले ने जब नरसी भक्त से भोजन प्रसाद होने की बात कहीं तो नरसी जी ने कहा कि ठाकुर जी का प्रसाद है वही पाओ। नानी बाई के ससुराल में नरसी जी की हंसी उडाई जा रही थी, सब कह रहे थे कि खड़ताल लेकर गाने वाला क्या भात भरेगा। उसको खुद दो समय का भोजन हो जाए वही बहुत है।
भात में श्री रंग जी ने इतना सामान लिखवाया जो की नरसी जी के लिए लाना संभव नहीं था। परंतु उन्होंने वह कुमकुम पत्रिका और सामान की लिस्ट श्री सांवरिया जी के चरणों में रख दी।
इस दौरान इस दौरान मेड़ता पीठाधीश्वर 108 श्री राम किशोर जी महाराज ने श्रावण मास की कामना एकादशी की कथा सुना कर भगवान विष्णु की पूजा का महत्व बताया। कथा के दौरान संत उत्तम राम शास्त्री ने एक से एक भजन की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर संजय महावर ने महाराज श्री माला पहनकर स्वागत किया। मुख्य जजमान दुर्गा सोनी ने पूजा अर्चना की और आरती के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।