नई दिल्ली। सरकार ने वर्ष 2004 के बाद सेवा में आने वाले केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए लागू नई पेंशन योजना (एनपीएस) के विकल्प के रूप में शनिवार को एक नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) लाने का फैसला किया है जिसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के बाद आखिरी वेतन की करीब 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक में इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। रेल, सूचना प्रसारण एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी दी। उनके साथ भावी कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन भी थे जिन्होंने यूपीएस को तैयार करने में केन्द्रीय भूमिका निभाई थी। एकीकृत पेंशन योजना एक अप्रैल 2025 से लागू होगी।
वैष्णव ने कहा कि यूपीएस में कर्मचारी को 25 वर्ष की सेवा के बाद आखिरी वर्ष के औसत वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन मिलेगी। यूपीएस के लिए कर्मचारियों के अंशदान को एनपीएस की मौजूदा व्यवस्था के 10 प्रतिशत के बराबर ही रखा गया है जबकि सरकार ने अपने अंशदान को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
इस पेंशन याेजना में पारिवारिक पेंशन, गारंटी शुदा न्यूनतम पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त भुगतान के भी प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि यूपीएस लागू करने से एरियर के रूप में चालू वित्त वर्ष में सरकार को करीब 800 करोड़ रुपए व्यय करने पड़ेंगे जबकि यूपीएस के लिए लगभग 6250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
वैष्णव ने कहा कि इससे केन्द्र सरकार के 30 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ होगा और और राज्य सरकारें यूपीएस को लागू करती हैं तो कुल 90 लाख कर्मचारियों को इसका फायदा हो सकेगा। इस योजना से आने वाली पीढ़ियों पर पुरानी पेंशन योजना की भांति कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा क्योंकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं होता था।
उन्होंने कहा कि 2004 के बाद सेवा में आने वाले जितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या एक अप्रैल 2025 तक सेवानिवृत्त होंगे, उन्हें भी इस विकल्प को चुनने का अवसर मिलेगा। ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्ति लाभों की पुन: गणना करके बकाया का ब्याज़ सहित भुगतान किया जाएगा।
यूपीएस की खूबियां गिनाते हुए सोमनाथ ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी ने न्यूनतम 25 साल तक काम किया तो सेवानिवृत्ति के तुरंत पहले के अंतिम 12 महीने के औसत मूल वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके साथ महंगाई राहत (डीआर) उसी दर से मिलेगा जिस पर महंगाई भत्ता मिलता है। इस प्रकार से पुरानी पेंशन योजना के तहत मिलने वाली पेंशन के अनुपात में ही कुल वेतन की आधी पेंशन यूपीएस में मिला करेगी।
उन्होंने कहा कि यूपीएस में भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को सेवारत कर्मचारी की भांति महंगाई इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा। इसी तरह से अगर किसी पेंशनभोगी को मौत होती है तो उसके परिवार को मृत्यु के वक्त मृतक को मिलने वाली पेंशन का 60 प्रतिशत परिवार को मिलेगा। इस पर डीआर भी 60 प्रतिशत दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर न्यूनतम 10 साल की नौकरी के बाद कोई नौकरी छोड़ता है तो कम से कम दस हजार रुपए पेंशन मिलेगी। अधिक नौकरी वाले को उसी अनुपात में अधिक पेंशन मिलेगी।
उन्होंने कहा कि यूपीएस के तहत रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी की राशि के अलावा एक और एकमुश्त राशि से अलग से मिलेगी। यह राशि सेवाकाल में हर छह महीने की सेवा के बदले एक माह के मासिक वेतन (वेतन+डीए) का दसवां हिस्सा जुड़ कर सेवानिवृत्ति पर मिलेगा।
वैष्णव ने कहा कि यह योजना पूर्ण रूप से वित्तीय व्यवस्था के साथ लागू की जा रही है। यह कांग्रेस शासित कुछ राज्यों की योजनाओं के तहत कोई खोखला वादा नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को एनपीएस से यूपीएस से चुनने का विकल्प केवल एक बार के लिए होगा।
वैष्णव ने कहा कि यह योजना कर्मचारियों की यूनियनों और विशेषज्ञ संस्थाओं के साथ पूरे विचार-विमर्श के साथ लाई गईहै। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने कर्मचारी यूनियनों के प्रतिनिधियों की मुलाकात हुई है और सभी ने इस याेजना की सराहना की और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार प्रकट किया है।
उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस एक चुनावी मुद्दा बन गया था, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पिछले कुछ चुनावों के दौरान इस योजना को खत्म कर पुरानी योजना लागू करने का वादा किया था। एक प्रश्न के उत्तर में वैष्णव ने स्पष्ट किया कि एनपीएस और यूपीएस दोनों ही में कर्मचारियों का अंशदान शामिल होगा। यूपीएस में सरकारी कर्मचारियों को अपनी ओर से कोई अतिरिक्त अंशदान नहीं करना पड़ेगा। इसमें केवल सरकार का अंशदान बढ़ाया जा रहा है।