झुंझुनूं। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा है कि विपक्ष विभाजन की नीति अपनाते हुए जनता को गुमराह करके समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रहा है।
राठौड ने शनिवार को राजस्थान में झुंझुनूं में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हुई संगठनात्मक बैठक में सम्बोधित करते हुए कहा कि भाजपा विपक्ष के मंसूबे को कभी भी कामयाब नहीं होने देगी। भाजपा कार्यकर्ता भूखे, प्यासे, कड़ी मेहनत संघर्ष करके बूथों को जिताने का कार्य करते है। ऐसे कार्यकर्ताओं को सिर्फ़ सम्मान चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व में देश का नाम ऊँचा करें एवं राज्य में डबल इंजन की मोदी और भजनलाल सरकार सफल हो। इन कार्यकर्ताओं को राज्य एवं देश में विकास चाहिए। नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखकर पार्टी के लिए अपना श्रेष्ठ देने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान करें।
राठौड़ ने बांग्लादेश में तख्तापलट के बारे में कहा कि बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति है। हिन्दुओं के मंदिर तोड़े जा रहे हैं उन पर अत्याचार हो रहा है। अगर वहां हमारे भाइयों के साथ कुछ ग़लत होता है तो उसकी तकलीफ़ हमें यहां होती है। उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो लोग हिंदुस्तान की शान एवं सम्मान को चकनाचूर करना चाहते हैं, हमें ऐसे अराजक तत्वों को पनपने से रोकना होगा।
राठौड़ ने कार्यकर्ताओं से कहा कि कार्यकर्ता अपने संपूर्ण सामर्थ्य के साथ विधानसभा उप चुनाव में मेहनत करके प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का कंधा मज़बूत करें। बैठक में भाजपा प्रदेश प्रभारी डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने भगवान श्रीकृष्ण को लेकर बयान दिया। अब अगर उनसे पूछा जाए कि हिन्दू भगवान श्रीराम या श्रीकृष्ण से प्रेरणा नहीं लेगा तो क्या अल्लाह से प्रेरणा लेगा। हम हिन्दू हैं और हमारे मुख्यमंत्री भी सनातन संस्कृति को मानने वाले हैं। अब तुम्हारा मुखिया ही हिन्दू नहीं है तो आप हिंदुओं के लिए कैसे सोचेंगे।
उन्होंने कहा कि झुंझुनूं ज़िले की धरती वीरता एवं विद्वता की जननी है। यहां हर घर से वीर सैनिक निकलते हैं जो देश की सेवा एवं सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का न्यौछावर करने को सदैव तत्पर रहते हैं। राजस्थान से सेना में भर्ती 80 हज़ार जवानों में से 50 हज़ार सैनिक शेखावटी की धरती से हैं।
अग्रवाल ने वर्ष 1947, 1961 और 1965 में पाकिस्तान एवं चीन के साथ हुए युद्ध की बात करते हुए कहा कि भारत के सैनिक कम सुविधाओं के साथ लड़े। पाकिस्तान से भारत की कब्जा की गई भूमि ख़ाली भी करवाई, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं इंदिरा गांधी ने ली हुई भूमि वापस देकर सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ कर दिया।