जयपुर। भारतीय महिला को सशक्तीकरण की आवश्यकता नहीं, वह सशक्त है। पुरुष महिलाओं को नहीं बनाता बल्कि महिलाएं पुरुषों का निर्माण करती हैं। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक बाबूलाल ने बुधवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ सभागार में आयोजित महिला सुरक्षा-चुनौतियां एव समाधान प्रबुद्ध जन गोष्ठी में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रथम गुरु मां होती है। वही उन्हें संस्कारित करती है। शिवाजी को प्रेरणा देने वाली उनकी मां जीजाबाई थीं। स्वामी विवेकानंद और मदन मोहन मालवीय के जीवन में भी उनकी मां की महत्वपूर्ण भूमिका थी। आज भी माताओं के ऊपर जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, ताकि एक सभ्य समाज का निर्माण हो सके। उन्होंने दूसरे पंथों में स्त्रियों की स्थिति बताते हुए महिला के प्रति भारतीय व अभारतीय दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए स्वतंत्र पत्रकार और विचारक डॉ. शिप्रा माथुर ने कहा कि देश में यौन हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही जघन्यता भी बढ़ी है। पहले सिर्फ रेप होते थे, अब दुष्कर्म के बाद पीड़िताओं की हत्या भी हो रही है। ऐसे अपराधियों से निपटने के लिए हमें बालिकाओं और महिलाओं को सक्षम बनाना होगा। मीडिया को भी सिलेक्टिव पत्रकारिता से ऊपर उठकर अपना दायित्व निभाना होगा। दुष्कर्म तो दुष्कर्म होता है, यहां पर भी यदि जाति या सम्प्रदाय देखेंगे तो यह पत्रकारिता के साथ न्याय नहीं हो सकता।
वरिष्ठ आईपीएस और वर्तमान में एडीजी रेलवे अनिल पालीवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा का विषय समाज और संस्कृति से जुड़ा है। इसको लेकर राज्य सरकार और पुलिस भी चिंतित है। उन्होंने कहा कि महिलाएं हमेशा से समाज की पोषक रही है। इसे समाज ने स्वीकारा भी है। चाहे गाय हो या फिर नदियां, हमने इन्हें भी मां का स्थान दिया है। सनातन संस्कृति में महिला का सम्मान रचा बसा है। एडीजी पालीवाल ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 90 प्रतिशत अपराधी परिचित ही होते हैं।
अधिवक्ता मूमल राजवी ने कहा कि महिला सुरक्षा और सम्मान सभ्य समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जिस देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं, वो देश प्रगति भी नहीं कर सकता। मूमल राजवी ने अजमेर सेक्स स्कैंडल की चर्चा करते हुए कहा कि वह दौर कितना भयावह रहा होगा, जब एक बालिका से शुरू हुआ यह घिनौना कृत्य 250 बालिकाओं के जीवन को तबाह कर गया। कुछ बालिकाओं ने आत्महत्या कर ली।
उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपी यूथ कांग्रेस से जुड़े थे और अजमेर दरगाह के खादिम परिवार से थे। उनकी पहुंच और दबदबे के आगे सिस्टम भी कुछ नहीं कर पाया। कुछ आरोपी बरी हो गए और कुछ जमानत पर रिहा होकर आराम का जीवन गुजार रहे हैं। 32 वर्ष बाद 6 आरोपियों को सजा हुई है। यह बताता है कि हमारा सिस्टम कितना कमजोर है। मूमल ने कहा कि चुप्पी अपराधियों को निडर बनाती है। इतिहास उन्हीं का लिखा जाता है, जो अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाते हैं।
अजमेर सेक्स स्कैंडल के बाद 1999 से 2003 तक अजमेर में शिक्षा ग्रहण करने वाली पुष्पा यादव ने कहा कि उस समय लोग इस मामले की चर्चा करने से भी डरते थे। घर वाले दरगाह की ओर जाने से भी मना करते थे। एक बार जब सहेलियों के साथ दरगाह गए तो मुस्लिम लड़के दरगाह में भी फब्तियां कसने से बाज नहीं आए। वे हमें देखकर गा रहे थे, हुस्न की चक्की चली फिर एक दाना फंसा, हम फंसे तो क्या फंसे मौलाना और चिश्ती फंसा। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय अजमेर में कैसा वातावरण रहा होगा।
समर्थ सेवा न्यास की अध्यक्ष डॉ. मंजु शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि महिला सुरक्षा का विषय सिर्फ महिलाओं का नहीं बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का विषय है। इन दिनों मानवता को शर्मसार करने वाले मामले सामने आ रहे हैं। कानून महिलाओं के पक्ष में है, इसके बावजूद घटनाएं हो रही हैं। कोलकाता का मामला आप सबके सामने है।
मनसा अध्यक्ष डॉ. सुनीता अग्रवाल ने सभी का आभार जताया। इससे पहले संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां शारदे के भजन से हुआ तथा समापन शांति मंत्र से। कार्यक्रम में क्षेत्र कार्यवाह गेंदालाल और डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग के निदेशक डॉ. जय सिंह सहित काफी संख्या में महिलाएं और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन समर्थ सेवा न्यास, मनसा और डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग की ओर से किया गया था।