कर्मों के अनुरूप होता है पाप और पुण्य का संचय: महंत रामकिशोर महाराज

श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति रविवार को
अजमेर। नला बाजार स्थित रामद्वारा में आयोजित चातुर्मास सत्संग के दौरान रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता देवल के महंत 108 श्री रामकिशोर महाराज के चातुर्मास के अवसर पर कहा कि पूरे परिजनों के साथ जब भगवान श्री कृष्णा सूर्य ग्रहण के अवसर पर तीर्थ स्थल पर गए और कुरुक्षेत्र में जाकर उन्होंने कहा कि जो फल तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से प्राप्त होते हैं वह कहीं नहीं मिलते।

मनुष्य के जाने अनजाने में जो पाप होते हैं, उनका परिहर करने के लिए नित्य पूजा पाठ करने से वे नष्ट हो जाते हैं साथ ही पुण्य का संचय होता। तीर्थ स्थलों व सत्संग में जाकर जीव पाप पुण्य से मुक्त होता है।

इस दौरान भगवान महाराज ने ऋषभदेव जी के नौ पुत्रों का वर्णन किया। उन्होंने कृष्ण और उद्धव संवाद के दौरान कहा की यादवों को श्राप लगा है। यादव वंश समाप्त हो जाएगा। यह बात सुनकर उद्धव जी बहुत दुखी हुए। उन्होंने भगवान कृष्ण ने कहा कि समय के साथ विकास भी होता है तो विनाश भी होता है, जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को भी पाएगा। संसार तो दुख का सागर है। इस दुख से निकलने के लिए सत्संग बहुत जरूरी है। अवधूत गीता के माध्यम से महाराज ने बताया कि जब उद्धव ने भगवान कृष्ण से पूछा कि भगवन महाभारत के घटनाक्रम में अनेक बातें नहीं समझ पाया। आपके ‘उपदेश’ अलग रहे, जबकि ‘व्यक्तिगत जीवन’ कुछ अलग तरह का दिखता रहा। भगवान कृष्ण ने उद्धव के कई प्रश्नों के जवाब दिए। उन्होंने संतुष्ट कर भक्ति का मार्ग दिखाया।

संत उत्तम राम शास्त्री ने बताया कि रविवार को चातुर्मास के सत्संग और श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति होगी। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रदेशभर के भक्त और संप्रदाय से जुड़े कई संत भी अजमेर आएंगे। कथा के पश्चात आरती की गई और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।