सिरोही जिला कलेक्टर का वाहन हुआ कुर्क

जिला न्यायालय के द्वारा कुर्क की गई सिरोही ज़िला क्लेक्टर की कार।

सिरोही। कोर्ट के आदेश पर जारी वारंट पर न्यायालय कर्मियों ने मंगलवार को सिरोही के सबसे बड़े राजस्व अधिकारी जिला कलेक्टर की आधिकारिक गाड़ी को कुर्क कर लिया। अपने आपमें इस अनूठी घटना की सूचना मिलने पर कलेक्टर कार्यालय के बाहर लोगों का मजमा लग गया।

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सिरोही और पिंडवाड़ा में फ्लैट्स बनाए गए थे। इन फ्लेटों को लॉटरी के माध्यम से अलॉट किया गया था। लॉटरी से पहले आवेदकों से और लॉटरी खुलने के बाद आवंटियों से सरकार ने राशि जमा करवाई थी।

इसके बाद भी कई साल बीतने पर भी इन फ्लेटों के कब्जे आवंटियों को नहीं दिया गए। यही नहीं कब्जा नहीं देने की स्थिति में आवंटियों ने सरकार से उनकी राशि लौटाने का आवेदन किया तो राशि भी उन्हें लौटाई नहीं जा रही थी। इस कारण आवंटी सोनू कंवर ने अपनी राशि लौटाने को लेकर सिरोही की स्थायी लोक अदालत में परिवाद दायर किया था।

इसमें नगर परिषद पिंडवाड़ा और जिला कलेक्टर को भी पार्टी बनाया था। न्यायालय के द्वारा 26 जनवरी 2024 को  सोनू कंवर के पक्ष में अवार्ड जारी करने का आदेश हुआ। कलेक्टर के द्वारा सोनू कंवर के 4 लाख 60 हजार 908 रुपए का अवार्ड निर्धारित समय पर नहीं दिए जाने पर 18 मार्च 2024 को न्यायालय में उनके द्वारा जारी किए गए अवार्ड को दिलवाने अनुरोध किया गया।

इसके बाद भी जिला कलेक्टर के द्वारा सोनू कंवर को उक्त राशि और ब्याज नहीं लौटाने पर न्यायालय ने कलेक्टर की कार का कुर्की आदेश  जारी किया। अधिवक्ता भैरूपाल सिंह ने बताया कि जिला कलेक्टर ने इस आगे कार्रवाई करने को कहा था लेकिन पैसा नहीं लौटाने पर ये कार्रवाई हुई।

सिरोही जिला कलेक्टर की कार पर चिपकाया गया न्यायालय का कुर्की आदेश।

जिसके बाद न्यायालय के सेल अमीन ने कलेक्टर कार्यालय के बेहद खड़ी कलेक्टर की कार संख्या आरजे 23 यूए 2355 को कुर्क करके न्यायालय के अधीन कर लिया। बिना न्यायालय की अनुमति के इस वाहन को उपयोग नहीं करने के आदेश जारी किए और नोटिस कार पर चस्पा कर दिया।

जब ये कार्रवाई हो रही थी उस समय कलक्टर अल्पा चौधरी अपने कार्यालय में ही थीं। उसी समय उनके कार्यालय का बाहर पोर्च में खड़ी कार को कुर्क कर लिया गया। निर्णय से लेकर इजराय तक का पूरा प्रकरण पूर्व कलेक्टर शुभम चौधरी के समय का है। इस कर्रवाई से ये अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं ही कि न्यायालय के निर्णयों और अनुपालना को आधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे थे वो जिले के सामान्य नागरिकों को कितनी गंभीरता से ले रहा होंगे।