अजमेर दरगाह को महादेव मंदिर बताने पर भड़के दीवान के पुत्र नसीरुद्दीन

अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह को हिन्दू सेना द्वारा महादेव का मंदिर बताते हुए यहां न्यायालय में दायर वाद पर टिप्पणी करते हुये दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के पुत्र सैय्यद नसीरुद्दीन ने इसे ओछी मानसिकता करार दिया है।

नसीरूद्दीन ने बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यहां साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि दरगाह शरीफ कभी शिव मंदिर था। उन्होंने कहा कि इतिहास में इस बात के कहीं कोई प्रमाण नहीं है।

दरगाह शरीफ में सभी धर्मों के लोग आस्था के साथ आते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं। प्रधानमंत्री की चादर भी सालाना उर्स में पेश होती है। अजमेर दरगाह गंगा-जमुनी तहजीब और भाईचारे की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में हमारी ओर से भी दायर वाद को खारिज करने के लिये पुरजोर कोशिश होगी। खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सैय्यद सरवर चिश्ती ने भी दायर वाद पर कड़ी आपत्ति जताई है।

इधर, हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता भी न्यायालय में आज की तारीख को देखते हुए अजमेर पहुंचे। उन्होंने न्यायालय परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हमने दायर दीवानी वाद में पर्याप्त और मजबूत साक्ष्य रखे हैं, जिससे अजमेर दरगाह मूलतः हिन्दू-जैन मंदिर रहा है।

हमने न्यायालय से कहा है कि यहां दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर स्थित था। लिहाजा इसकी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जांच कराई जाए और हमें पूजा पाठ करने की अनुमति दी जाए, जैसा कि वर्षों पहले होता आया है।

उन्होंने कहा कि हमारा हिंसा में विश्वास नहीं है, इसलिए हमने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की जांच से किसी को भी क्या एतराज हो सकता है। मथुरा-काशी में सर्वेक्षण का काम चल रहा है, तो अजमेर पर किसी को क्या और क्यों आपत्ति है। वास्तविक सच्चाई सबके सामने आने देनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि 1911 में लिखी अजमेर निवासी कानूनविद् हरविलास शारदा की पुस्तक में भी इसे हिन्दुत्व का स्थान बताया गया है।उल्लेखनीय है कि हिन्दू सेना से पहले भी अजमेर दरगाह को लेकर अन्य हिन्दूवादी संगठनों की ओर से आवाज उठाई जा चुकी है।