नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण में उप-वर्गीकृत कर वंचित समूहों को तरजीह देने की अनुमति देने से संबंधित एक अगस्त 2024 के अपने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने समीक्षा याचिकाओं पर विचार के बाद पिछले दिनों अपना फैसला दिया। पीठ ने समीक्षा याचिकाओं पर कहा कि एक अगस्त के उसके फैसले में रिकॉर्ड को देखते हुए उसमें उसे कोई त्रुटि नहीं दिखती है।
पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रूल्स 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, समीक्षा याचिकाओं को खारिज किया जाता है। शीर्ष अदालत ने मामले में खुली अदालत में सुनवाई के लिए एक आवेदन को भी खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार समीक्षा याचिका पर दस्तावेजों के आदान-प्रदान के माध्यम से अधिवक्ता की उपस्थिति के बिना न्यायाधीशों के कक्ष में विचार किया जाता है।
शीर्ष न्यायालय ने एक अगस्त, 2024 के अपने फैसले में एससी और एससी के उप-वर्गीकरण को संवैधानिक रूप से स्वीकार्य माना था। न्यायालय ने अपने फैसले में एससी/एसटी के बीच भी क्रीमी लेयर के सिद्धांत को लागू करने का समर्थन किया था।