श्रीनगर/जम्मू। जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के हटने और एक दशक के बाद हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां)-कांग्रेस गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया है।
केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा की 90 सीटों में से नेकां-कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटें जीतीं, जिससे बहुमत का आंकड़ा 46 पार हो गया। वरिष्ठ राजनेता फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेकां ने 42 सीटें हासिल कीं, जिनमें कश्मीर क्षेत्र से 35 और जम्मू से सात सीटें शामिल हैं। कश्मीर घाटी में नेकां ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था। नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गंदेरबल,दोनों सीटों पर जीत हासिल की है।
चुनाव नतीजों पर टिप्पणी करते हुए नेकां अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के कदम (जिसने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था) की स्पष्ट अस्वीकृति का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने घोषणा की कि उमर अब्दुल्ला गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री होंगे।
विधानसभा चुनावों में नेकां की सहयोगी कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया है और पार्टी सिर्फ छह सीटें ही जीत सकी है, जिनमें से पांच कश्मीर क्षेत्र से आईं। जम्मू में कांग्रेस ने सबसे खराब प्रदर्शन किया और पार्टी केवल राजौरी (एसटी) सीट जीतने में सफल रही। इसकी तुलना में कांग्रेस ने 2014 के चुनावों में जम्मू से पांच सीटें जीती थीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू में अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। पार्टी ने जम्मू क्षेत्र से 29 सीटें जीती हैं। पार्टी कश्मीर से एक भी सीट जीतने में विफल रही। भगवा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उलटफेर तब हुआ, जब भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना नौशेरा से अपनी सीट हार गए। कश्मीर क्षेत्र में नेकां का दबदबा खास तौर पर देखने को मिला।
श्रीनगर जिले की आठ सीटों में से नेकां ने सात सीटें जीतीं। श्रीनगर में हारने वाले प्रमुख लोगों में अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी एवं पूर्व मेयर जुनैद मट्टू शामिल हैं। कुपवाड़ा जिले में नेकां ने पांच में से तीन सीटें जीतीं। नेकां की एक उल्लेखनीय हार पूर्व मंत्री नासिर असलम वानी की रही, जिन्हें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के फैयाज मीर ने हराया।
बारामूला जिले में नेकां ने सात में से छह सीटें जीतीं। पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग और पूर्व मंत्री बशारत बुखारी, ताज मोहिदीन, गुलाम हसन मीर और इमरान अंसारी समेत कई प्रमुख उम्मीदवार हारने वालों में शामिल हैं। सांसद अब्दुल रशीद शेख के भाई खुर्शीद शेख ने लंगेट सीट जीती, जबकि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन हंदवाड़ा से जीते, लेकिन कुपवाड़ा में हार गए।
इंजीनियर रशीद की पार्टी विधानसभा चुनाव में छाप छोड़ने में विफल रही। दक्षिण कश्मीर में (जो कभी पीडीपी के प्रभुत्व वाला क्षेत्र था) नेकां ने 16 में से 10 सीटें जीतीं। दक्षिण कश्मीर में पराजित होने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती और पूर्व पीडीपी मंत्री अब्दुल रहमान वीरी, सरताज मदनी और महबूबा बेग शामिल हैं।
चुनाव नतीजों में पीडीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को अपने गढ़ दक्षिण कश्मीर में भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2014 के चुनावों में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 2018 तक भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में रही थी।
वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव परिणाम 1999 में अपनी स्थापना के बाद से पीडीपी के सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन किया है। जम्मू क्षेत्र में भाजपा ने 43 में से 29 सीटें हासिल करते हुए अपने प्रदर्शन में सुधार किया। यह 2014 के चुनावों में जीती गई 25 सीटों से बेहतर है। जम्मू में हारने वालों में कांग्रेस के लाल सिंह और रमन बाला शामिल थे।