नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में पांच विधायकों को मनोनीत करने की उपराज्यपाल की शक्ति चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार की पीठ ने रविंदर कुमार शर्मा की याचिका पर कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि कई मामलों में जहां (उच्च न्यायालय से पहले) हमने पहली बार विचार किया, हम देखते हैं कि कई चीजें छूट जाती हैं।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने से पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले में गुहार लगानी चाहिए। पीठ के समक्ष शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गैर-निर्वाचित उपराज्यपाल की ओर से इस तरह की नियुक्ति (विधायकों की) से चुनावी फैसले पर असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 निर्वाचित सदस्य हैं। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में विस्थापित कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपराज्यपाल द्वारा 5 विधायकों को मनोनीत करने की परिकल्पना की बात कही गई है।
पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) गठबंधन ने विधानसभा में 49 क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। यह आंकड़ा 5 सदस्यों की नियुक्ति के बाद भी बहुमत के 48 के आंकड़े से अधिक है।