श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में बुधवार को शपथ ली।
अब्दुल्ला इससे पहले 2009 और 2014 की अवधि में जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 1998 से 2009 तक दो बार लोकसभा में श्रीनगर का प्रतिनिधित्व किया। वह सबसे कम उम्र के लोकसभा सदस्य थे और पांच जनवरी-2009 को कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।
उन्होंने वर्ष 2014 से 2018 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में 23 जुलाई-2001 से 23 दिसंबर-2002 तक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के रूप में भी सेवाएं दी। बाद में उन्होंने पार्टी के काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अक्टूबर-2002 में राजग सरकार से इस्तीफा दे दिया।
अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद अन्य नेताओं के साथ अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया और छह फरवरी-2020 को भारत सरकार ने उन पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया, जिसे 24 मार्च-2020 को रद्द कर दिया गया। वह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए 14वीं लोकसभा के सदस्य रहे।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में इंडिया समूह के साथ गठबंधन के तहत अन्य राजनीतिक दलों के साथ सीट बंटवारे के समझौते के लिए अनिच्छा दिखाई और जोर दिया कि नेकां कश्मीर क्षेत्र की सभी सीटों पर चुनाव लड़े और उनका फैसला सही साबित हुआ तथा पार्टी ने कश्मीर में तीन लोकसभा सीटों में से दो पर जीत हासिल की।
नेकां ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा और 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को छह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को एक तथा आम आदमी पार्टी को एक सीट मिली। बाद में चार निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन में उन्हें समर्थन दिया।