माउण्ट आबू में भ्रष्टाचार की मोटराइज्ड स्कैट, सरकार को चूना या जनता को

माउंट आबू।
माउंट आबू।

सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। अशोक गहलोत के राज में माउण्ट आबू में चली भ्रष्टाचार की स्कैट को भजनलाल सरकार में अधिकारियों ने मोटराइज्ड बनाकर सरकार और जनता दोनों को चूना लगाने का काम दस गुना रफ्तार से किया है।

माउण्ट आबू का वायरल वीडियो तो यही बता रहा है कार्मिकों, नेताओं और दलालों के गठजोड ने सत्ता में मिले एकाधिकार को जनता के शोषण का माध्यम बना लिया है। अब लोग इनके चंगुल में कसमसाने लगे हैं। माउण्ट आबू में पिछले छह महीने में फैले भ्रष्टाचार पर स्थानीय भाजपा के पदाधिकारी तक ये कहने लगे हैं कि इतना भ्रष्टाचार कांग्रेस के सत्तर साल के इतिहास में नहीं देखा न सुना।
– ये है तो लगा होगा सरकार को चूना
माउण्ट आबू में वायरल ऑडियो से आम आदमी और सरकार दोनें के सामने ये स्पष्ट हो जाएगा कि कि तरह से नगर निकाय में सरकार को राजस्व घाटा पहुंचाकर कार्मिक या उनके दलाल खुदका लाभ करते हैं। इस वायरल वीडियो में धीरज नाम का शख्स नवीन को ये बता रहा है कि जिस जगह पर पट्टा लेना है वहां की डीएलसी 16 हजार 411 रुपये है। नवीन धीरज को बताता है कि उसके पास 1800 वर्गफीट का कब्जा है। इस पर धीरज नाम का शख्स पहले 900 वर्गफीट फिर बाद में अहसान जताते हुए 1200 वर्गफीट का पट्टा जारी करवाने की गारंटी देता है।
इसके बाद धीरज नाम का शख्स जो कहता सुनाई दे रहा है वो सरकार, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आम नागरिक के लिए जानना जरूरी है कि किस तरह से सरकार को जनता को चूना लगाया जाता है। धीरज नाम का शख्स यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जिस जगह पर ये जमीन है वहां की डीएलसी 16 हजार 411 रुपये है। इसकी सरकारी दर तो ज्यादा होती है लेकिन, वो उसे सिर्फ पचास प्रतिशत राशि जमा करवाने पर ही पट्टा दिलवा देगा। अधिकारी के सामने नवीन जाएगा तो वो उससे पूरी राशि जमा करवाएंगे। लेकिन, वो ये ही काम आधे में करवा देगा।
– 1200 वर्गफीट की होती है इतनी डीएलसी
वायरल ऑडियो में धीरज नाम का शख्स नवीन से कहता है कि उसे डीएलसी के 9 लाख बारह हजार रुपये भरने होंगे। आगे वो कहता है कि यू ंतो इसकी डीएलसी फीस ही ज्यादा होती है लेकिन, वो इसे पचास प्रतिशत में ही दिलवा देंगे। तो सवाल ये कि आखिर पूरी डीएलसी के हिसाब से राशि जमा की जाती तो कितनी होती। यदि धीरज नाम का शख्स अपनी गारंटी पर 900 वर्गफीट का पट्टा दिलवाता तो इस भूखण्ड का क्षेत्रफल करीब 83.61 वर्गमीटर होता। ऐसे में 16 हजार 411 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से सरकारी कोष में इस पट्टे के करीब 13 लाख 72 हजार रुपये जाने चाहिए। वहीं यदि वो नवीन को 1200 वर्गफीट का पट्टा दिलवाता तो उसका क्षेत्रफल 111.84 वर्गमीटर होता। ऐसे में 16 हजार 411 रुपये प्रतिवर्ग मीटर डीएलसी के हिसाब से इसकी सरकारी राशि 18 लाख 29 हजार 498 होती। धीरज जो 9 लाख 14 हजार की राशि बताता है वो 1200 वर्ग फीट की जमीन के पट्टे मूल राशि का ही आधा हैं।
-ऐसा किया होगा तो लगेगा जनता को चूना
धीरज नाम का शख्स नवीन नाम के शख्स से भले ही डीएलसी की आधी दर मे ंही पट्टा जारी करने की गारंटी देता ऑडियो में सुनाई दे रहा है। लेकिन, ऐसा संभव नहीं है। डीएलसी की आधी दर में पट्टा जारी करने में एक समस्या भी है। वो ये की सालाना ऑडिट में ये गलती पकड मे आ जाती। ऐसे में या तो ऑडिटर से ये पेरा नहीं लिखने या फिर पेरा लिखे जाने पर इसे हटवाने के लिए मेहनत करनी पडती।
तो इस दावे का भी झोल समझिये। अगर ये पट्टा अतिक्रमण नियमन को लेकर है तो प्रशासन शहरो के संग अभियान के तहत किया जा रहा था तो उस अभियान के तहत आवासीय पट्टे की दर डीएलसी की सिर्फ दस प्रतिशत बताई जा रही है, जिसे की धीरज नाम का शख्स पचास प्रतिशत करने की बात करते हुए नवीन नाम के शख्स पर अहसान जताता हुआ सुनाई दे रहा है।
यदि वाकई ये वायरल ऑडियो अतिक्रमण नियमन की पत्रावली की है तो फिर तो प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 1200 वर्गफुट के भूखण्ड की डीएलसी राशि का दस प्रतिशत यानि कि एक लाख अस्सी हजार रुपये सरकार के खाते में जाने चाहिए। तो ऐसे में धीरज नाम का शख्स नवीन जोशी को जो राशि बता रहा है वो सरकार के द्वारा निर्धारित दर से बहुत ज्यादा है। ऐसे में वायरल ऑडियो में धीरज नाम के शख्स के द्वारा डीएलसी के पचास प्रतिशत पर आवासीय पट्टा देने का दावा जनता की जेब पर डाका प्रतीत हो रहा है।
सूत्रों की मानें तो धीरज नाम के शख्स की मध्यस्थता माउण्ट आबू में या तो उस समय हुई थी जब नगर पालिका माउण्ट आबू से पट्टों के आवंटन की 180 पत्रावलियां गायब होने की रिपोर्ट माउण्ट आबू पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई थी। तब कांग्रेस का शासन था। या फिर अब है जब भाजपा का शासन है। दोनों ही समय में प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत अतिक्रमण नियमन के पट्टे की डीएलसी दर इतनी ही थी।

लगातार…..
वायरल ऑडियो हटवाने को कौन नेता कर रहे हैं फोन!