जम्मू-कश्मीर क्षत्रिय सैनी सभा ने विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव का विरोध किया

जम्मू। जम्मू-कश्मीर क्षत्रिय सैनी सभा के अध्यक्ष एवं गणमान्य समाज संगठन (नई दिल्ली) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रीतम सिंह ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर पुनर्विचार के उद्देश्य से पारित प्रस्ताव का विरोध किया।

सिंह ने यहां जारी एक बयान में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव पारित होने पर समुदाय के असंतोष को व्यक्त किया। केंद्र सरकार ने इसे पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था। उन्होंने अनुच्छेद 370 के 2019 के निरस्तीकरण की उपलब्धियों पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के साथ एकीकृत करने में एक महत्वपूर्ण कदम था जो क्षेत्र के वंचित समुदायों को लंबे समय से प्रतीक्षित अधिकार और लाभ पहुंचाता है। सिंह ने जोर देकर कहा कि इस कदम से ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने में मदद मिली है खासकर ओबीसी श्रेणी के लोगों सहित हाशिए पर पड़े वर्गों के प्रति।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने का समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि इसने उन्हें छह दशकों से अधिक समय तक मौलिक अधिकारों और आर्थिक प्रगति से वंचित रखा। सिंह ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से क्षेत्र पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जिससे उग्रवाद में उल्लेखनीय कमी आई है और विभिन्न हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि शरणार्थी, गोरखा और सफाई कर्मचारी जैसे समुदाय जो पहले हाशिए पर थे अब अन्य भारतीय नागरिकों के समान अधिकारों का आनंद लेते हैं। इस बदलाव से हजारों लोगों के जीवन में सम्मान और समानता आई है, जिन्हें समाज में उनके उचित स्थान से वंचित किया गया था।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद के निरस्तीकरण के बाद से जम्मू-कश्मीर में पर्यटन में वृद्धि, बॉलीवुड की अपने दर्शनीय स्थलों पर वापसी और हड़तालों से नागरिक अशांति की स्पष्ट अनुपस्थिति के साथ परिवर्तन देखा गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में विकास हो रहा है और कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है। यह प्रगति अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से होने वाले लाभों का प्रमाण है।

उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) पर झूठे आख्यानों के साथ जनता को गुमराह करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने पार्टी से राजनीतिक लाभ के लिए भावनाओं से छेड़छाड़ बंद करने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने शांति और विकास के नए युग को अपनाया है।

उन्होंने कहाकि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही इस मामले पर विचार-विमर्श किया है और फैसला दृढ़ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानूनी रास्ते पहले ही निरस्तीकरण को बरकरार रख चुके हैं।

सिंह ने नेकां को राजनीतिक लाभ के लिए संवेदनशील मुद्दों का फायदा उठाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी रणनीति जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के अनुरूप नहीं है जो अब आतंकवाद से मुक्त भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं और शेष भारत की समृद्धि और प्रगति के साथ जुड़े हुए हैं।