कला धरोहर विषयक दो दिवसीय संगीत कार्यशाला सम्पन्न
अजमेर। संगीत नाटक अकादमी एवं सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के संगीत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला कला धरोहर के अन्तिम दिन बुधवार को मीरांबाई के भजनों के गायन और नृत्यकला ने मन मोह लिया।
कार्यशाला के प्रशिक्षक के रूप में आए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गायक भुंगर खान मांगणियार के साथ ढोलक वादक मंजूर खान, हारमोनियम वादक एवं सहगायक नेहरू खान और भुट्टा खान एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में आए नीलेश कुमार दीपक सलाहकार संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली का कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ) मनोज कुमार बहरवाल ने स्वागत किया।
कार्यशाला के दूसरे दिन का शुभारम्भ संगीत कला नाटक अकादमी, नई दिल्ली के प्रशिक्षकों द्वारा पधारो म्हारा गजानन….गणेश वन्दना से किया गया। राजस्थान के लोकसंगीत की मांगणियार गायकी की से परिचित करवाने के लिए सावन आयो… लोकगीत, राग सोरठ पर आधारित जागणा गायन, कानूड़ो न जाणे म्हारी प्रीत… आदि लोकगीतों की सुरम्य और मनमोहक प्रस्तुति दी।
भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय के अधीन संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में 400 से अधिक प्रतिभागी लाभान्वित हुए। नारायण दास कृत वारी जाऊं रे, बलिहारी जाऊं रे, म्हारा सतगुरु आंगण आया, मैं वारी जाऊं पद के गायन से भक्तिमय धारा को प्रवाहित किया।
प्रतिभागियों ने कार्यशाला में सीखे मीरांबाई के भजन
सांवरियो परणाय मीरां न गिरधारी परणाय, कोड करे म्हारी मां मीरां न सांवरियो परणाय… और मारगिया बुहारा, फुलड़ा बिछावां, कृष्ण जी रा दर्शण पावां हरे राम… आदि भक्तिगीतों की सामूहिक प्रस्तुति दी। श्रोताओं की विशेष मांग पर कुरजां गीत सुपणा रे म्हारो…, छोटी सी उमर में परणाई रे बाबोसा और निम्बूड़ा आदि लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार जंवड़ा और सहसंयोजिका डॉ. संगीता शर्मा ने भक्तिगीतों की प्रस्तुति प्रदान कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि कला अंकुर एवं तार सप्तक सदस्य एवं प्रसिद्ध गायक मुकेश परिहार, सारस्वत अतिथि प्रो. सुशील कुमार बिस्सू, सहायक निदेशक, कॉलेज शिक्षा, विशिष्ट अतिथि प्रो. नारायण लाल गुप्ता, विभागाध्यक्ष, भौतिकशास्त्र विभाग एवं कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक एवं प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल रहे।
कार्यशाला की सहसंयोजिका डॉ. संगीता शर्मा ने अतिथियों का परिचय एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि मुकेश परिहार ने मीरांबाई के भजनों पर आधारित कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए संगीत नाटक अकादमी एवं सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर के संगीत विभाग को बधाई दी और वर्तमान युग में भारतीय कलाओं से रूबरू कराने के लिए इस तरह की कार्यशाला की आवश्यकता पर जोर दिया।
सारस्वत अतिथि प्रो. सुशील कुमार बिस्सू, सहायक निदेशक, कॉलेज शिक्षा ने मीरांबाई को समाज में नारीचेतना का प्रतीक बताया और कार्यशाला को प्रतिभागियों के लिए संगीत, भक्ति और कला की त्रिवेणी का प्रत्यक्ष कराने वाला कहा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. नारायण लाल गुप्ता, विभागाध्यक्ष, भौतिकशास्त्र विभाग ने इस तरह की कार्यशाला को शिक्षा द्वारा विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य को प्राप्त करने का सशक्त कदम बताया।
कार्यशाला के मुख्य संरक्षक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल ने महाविद्यालय में कार्यशाला के आयोजन के लिए संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली का आभार व्यक्त किया और कहा कि वैश्विक स्तर पर भक्तिमती मीरांबाई के भजनों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कलाकारों द्वारा सीखने और भक्तिधारा में प्रवाहित होने का सुअवसर दिया।
कार्यशाला का आयोजन कृष्णभक्त मीरांबाई के 525वें जन्ममहोत्सव के उपलक्ष्य में किया गया, जिसकी यह 59वीं शृंखला रही। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत परफॉर्मिंग आर्ट को बढ़ावा देने के साथ मीराबाई द्वारा रचित विविध पद एवं पदावलियों के गायन एवं नृत्य के प्रशिक्षण द्वारा भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को वर्तमान युवा पीढ़ी से जोड़ने का है।
संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सलाहकार नीलेश कुमार दीपक ने कार्यशाला के आयोजन के लिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. विभा खन्ना, प्रो. दिलीप गेना, प्रो. अनिल गोखरू, प्रो. जितेन्द्र मारोठिया, प्रो. पोरस कुमार के साथ संकाय सदस्य एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार जंवड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरिता चांवरिया एवं डॉ. जितेन्द्र थदानी ने किया।