पूर्वी चंपारण : इकलौते पुत्र के शव से लिपटकर पिता ने दी जान

मोतिहारी। सामने इकलौते पुत्र का पार्थिव शरीर हो और पिता की मौत हो जाए और फिर मां का आंचल पकड़कर बिलखते नन्हें-नन्हें बच्चे, यह किसी चलचित्र का दृश्य नहीं है बल्कि बिहार के पूर्वी चंपारण में एक ऐसी ह्रदयविदारक घटना की है, जिसमें इकलौते पुत्र का शव देखते ही पिता की मौत हो गई।

ये मौत हर उस आंख को नम कर गई है, जिसने पुत्र के शव से लिपटकर पिता को बेजान होते हुए देखा या सुना। मधुबनी जिला के सकरी थाना क्षेत्र में शनिवार की देर रात हुई सड़क दुर्घटना में पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन निवासी पिकअप चालक सहित दो लोगों की मौत घटना स्थल पर ही हो गई। इस दौरान पिकअप पर सवार तीन युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।

इस हादसे में घोड़ासहन के महुआही गांव निवासी महिन्द्रा राय के इकलौते पुत्र जयलाल प्रसाद यादव उर्फ पच्चू राय (37) तथा गुलरिया टोला निवासी विद्यानंद राम के पुत्र अमरजीत कुमार (25) की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। तीन युवक हरेंद्र पंडित, लव कुमार तथा कन्हैया कुमार घायल हो गए।

दोनों मृतकों के पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव पहुंचा। घोड़ासहन के महुआही गांव निवासी महेंद्र राय का इकलौता पुत्र था जयलाल। इकलौते पुत्र के शव से लिपट गए महेंद्र राय। धीरे-धीरे आती महेंद्र राय की सिसकियां मद्धिम पड़ती गयीं और पुत्र के शव से लिपटे हुए ही न जाने कब और कैसे उनकी सांसें भी सदा के लिए थम गई।

जवान जयलाल की मौत का मातम कोहराम में बदल गया। जयलाल की मां महज छह माह पूर्व ही तो मौत के देवता के साथ विदा हुई थीं। फिर शनिवार की देर शाम जयलाल की सड़क हादसा ने जान ले ली। … और आज जयलाल के साथ उसके पिता ने भी दम तोड़ दिया।

जयलाल की पूरी की पूरी गृहस्थी ही उजड़ गई। तीन बहनों का इकलौता भाई जयलाल के चार नन्हें-नन्हें बच्चे हैं, जिन्हें नहीं पता मौत होती क्या है। वे बाद में अपनी मां को रोता हुआ देखकर बिलख रहे थे और सामने एक साथ पड़ा था उनके पिता और दादा का बेजान शरीर। वे अनाथ हो गए, उन्हें नहीं पता। घर पुरुष विहीन हो गया है, अब गृहस्थी कैसे चलेगी, यह भी नहीं पता। उनकी तरह किसी को नहीं पता कि जयलाल का परिवार अब किसके सहारे जिएगा।

मौत कभी न कभी आनी है पर महेंद्र राय की मौत ऐसे आएगी, किसी ने कल्पना नहीं कि थी। एक सड़क हादसा यूं पूरी गृहस्थी उजाड़ देगा, कभी किसी ने सोंचा ही नहीं। जयलाल तो कमाने गया था। वह शादियों की यादों को अपने कैमरे में कैद किया करता था फिर सुनहरी यादों का एलबम और वीडियो बनाया करता था।

शनिवार को भी जयलाल, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक शादी में फोटोग्राफी करने के लिए क्रेन और ड्रोन कैमरा सेट के साथ पिकअप से जा रहा था। उसकी टीम भी साथ थी। एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसकी गाड़ी को पीछे से धक्का मार दिया। जयलाल की गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया। वह सड़क पर खड़ी दूसरे ट्रक से टकरा गई। जयलाल समेत दो लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

जयलाल के साथ जान गंवाने वाले अमरजीत की भी कहानी कुछ जयलाल जैसी ही है। अमरजीत भी अपने घर में अकेला कमाने वाला था। वह चार भाई और दो बहनों में तीसरे नम्बर पर था। फोटोग्राफी करके वह भी परिवार की परवरिश कर रहा था। तातपर्य यह कि एक सड़क हादसे ने दो घरों में कोहराम मचाया है। भले ही ऐसी मौतें सरकारी फाइलों में आंकड़ा बनकर दर्ज हो जाती हैं लेकिन पीछे छूट गए लोगों के हालातों का कोई लेखा-जोखा नहीं होता।