जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में आयोजित सत्रह दिवसीय सरस राज सखी राष्ट्रीय मेला-2024 में लोग उमड़ पड़े और इसके शुरुआती तीन दिनों में ही पांच लाख से अधिक लोग इसमें आए और रविवार तक दो दिनों में करीब 30 लाख रुपए की बिक्री हो चुकी हैं।
राजवीका के प्रोजेक्ट डायरेक्टर (प्रशासन) अजय कुमार आर्य ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मेला जयपुर के जवाहर कला केन्द्र एवं इन्दिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में गत 14 दिसंबर को शुरु हुआ जो 30 दिसंबर तक चलेगा और इसमें राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, असम, तमिलनाडु, केरल, आन्ध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों की महिलाओं ने अपने उत्पाद की स्टॉल लगा रखी है। मेले में देश की लखपति दीदिया यहां हाथ से बनी हुई शोपीस आइटम भी बेच रहीं है। मेले में करीब 400 स्टॉल लगी हुई हैं।
उन्होंने बताया कि मेले में लोगों को मोटे अनाज के बने प्रोडक्ट सहित विभिन्न राज्यों के जीआई टैग प्रोटक्टों को खूब पसंद किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि मेले में जनता का काफी उत्साह नजर आ रहा है। मेले से लोग हाथ से बनी वस्तुएं, सजावटी सामान, शुद्ध मसालें एवं मोटे अनाज से बनी एवं अन्य खाने पीने की चीजों में काफी रूची दिखा रहे है और सोमवार तक इन तीन दिनों में मेले में पांच से सात लाख के बीच लोग आ चुके हैं और रविवार तक दो दिनों में लगभग 30 लाख रुपए की बिक्री हुई हैं।
उन्होंने बताया कि इससे जुड़े स्वयं सहायता समूहों (एसजी) को ई कॉमर्स प्लेटफार्म पर लाने का प्रयास किया जा रहा है और इसके तहत मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को मेले में ई कॉमर्स प्लेटफार्म की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि एसजी सदस्यों को ऑन लाईन प्रशिक्षण भी दे रहे हैं और 48 लाख एसजी सदस्यों तक पहुंचने के प्रयास किये जा रहे हैं और अब तक करीब चार लाख सदस्यों का पंजीयन कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि मोटे अनाज को प्रमुखता दी जा रही है जिसके तहत मेले में बाजरे, जौ आदि के बिस्कुट, अन्य मोटे अनाज से बनाये गये लड्डू, मठड़ी, बर्फी आदि उपलब्ध कराए गए और इन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नये वर्ष के मौके पर जीआई टैग प्रोडक्ट को गिफ्ट के रुप में भी पेश किया जायेगा ताकि नव वर्ष पर लोगों को इस तरह नए रुप में गिफ्ट भी दिया जा सके और जीआई टैग प्रोडक्ट को बढावा भी मिल सके।
सोमवार को भारतीय पारंपरिक हस्तशिल्प फैशन डिजाइनर और सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजीविका ब्रांड-एम्बेसडर रुमा देवी ने मेले का अवलोकन किया और स्वयं सहायता समूह की स्टॉल धारक महिलाओं से संवाद कर उनका उत्साहवर्धन किया। पैरा ओल्पिक में पदक विजेता अवनी लेखरा ने भी मेले का अवलोकन कर महिलाओं का उत्साह बढ़ाया।
सरस मेलों के माध्यम से ग्रामीण स्वयं सहायता समूह की महिलायें न केवल आजीविका के अवसर पैदा कर रहीं है बल्कि देश में महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही है और वे आजीविका की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। जयपुर एक बार फिर सरस आजीविका मेला-2024 से गुलजार हो रहा है जिसमें देश के अलग अलग राज्यों से जुड़ी एवं हाथ से बनाई वस्तुए उपलब्ध है। इनमें कपड़े, जूती, ज्वैलरी से लेकर खाने पीने का सामान मिल रहा है।
सरस मेला ग्रामीण विकास विभाग के तत्वाधान से राजीविका द्वारा लगाया गया है। इस मेले का उद्देष्य न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करना है बल्कि ग्रामीण शिल्पकारों, कारीगरों और बुनकरों के उत्पादों को एक मंच पर लाकर उन्हें समृद्धि की ओर अग्रसित करने का अवसर प्रदान करना है।
सरस मेला अलग-अलग राज्यों से आए कारीगरों और शिल्पकारों के बनाए हस्तशिल्प, हैण्डलूम उत्पाद और जैविक खाद्य एवं साबुन भी प्रदर्शित किए जा रहें है। यह मेला ग्रामीण भारत की महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए एक अहम कदम है जो कन्द्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल की थीम पर लगाया गया है।
मेले मे असम की बॉस कला उत्पाद, बिहार की मधूबनी चित्रकला और सिक्की षिल्प, छत्तीसगढ़ की मोमबत्तियां, साबुन, गोवा एवं गुजरात के लकड़ी के खिलौने , सजावटी आइटम, हरियाणा की धातु कला, मिट्टी के सामान कर्नाटक के आभूषण, महाराष्ट्र के फुटविअर ओड़िसा के साबई हस्तशिल्प, बिहार के स्वर्ण घास उत्पाद, चूड़िया, पश्चिम बंगाल के जूट हैण्ड बैग्स की दुकान लगाई गई है।