भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय जीवन मूल्यों को समझाएगी शिक्षा नीति : देवनानी

जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विश्व गुरू भारत के निर्माण में आदर्श बदलावों का परिचायक बताते हुए कहा है यह भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय जीवन मूल्यों को समझाएगी और युग की बातों को देशानुकूल और देश की बातों को युगानुकूल बनाएगी।

देवनानी ने सोमवार को यहां मानसरोवर स्थित भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में अपेक्स विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 स्वीकरण एवं क्रियान्वयन विषयक सेमिनार शुभारम्भ किया इसमें और यह बात कही।

उन्होंने कहा कि कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति युग की बातों को देशानुकूल और देश की बातों को युगानुकूल बनाने का आधार है। इस शिक्षा नीति में आधुनिक विश्व की आवश्यकताओ को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद छात्र-छात्राएं शिक्षा यात्रा में ब्रेक ले सकेंगे।

देवनानी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना साकार हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत अब शोध एवं अनुसंधान पर विशेष बल दिया जाएगा। इस नीति के तहत होने वाले शोध और अनुसंधान जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहभागी बनेंगे। साथ ही परीक्षा प्रणाली पर नये सिरे से चर्चा होगी। इसमें सतत् मूल्यांकन को आधार बनाया गया है। आईटीआई, डिप्लोमा और डिग्री को एक साथ जोडे जाने पर भी विचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा का ढांचा वृहद और समृद्ध है। भारतीय संविधान के 22 भागों में उल्लेखित चित्रों के अनुरूप संकल्पना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समावेश किये जाने का प्रयास किया गया है। यह नीति लोगों को भारतीय होने के गर्व की अनुभूति करायेगी साथ ही युवाओं में विश्लेषण क्षमता का विकास भी करेगी। उन्होंने कहा कि इस नीति से राष्ट्र के विश्वविद्यालय बहु-विषयक बन सकेंगे।

उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत विश्वविद्यालयों के लिए मानक तय किए जाएंगे। इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्ता प्रभावित नहीं होगी लेकिन शिक्षा में गुणवत्ता को बढाए जाने वाले और अधिक से अधिक लोगों को शिक्षा से जोडने और शिक्षा व्यवस्था में सुविधाएं बनाये रखने के लिए आवश्यक मापदंड के मानक तय किए जाएंगे।

देवनानी ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय नागरिकों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने वाली होगी। इसमें प्रायोगिक शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही भावनात्मक, विश्लेषणात्मक शिक्षा के विभिन्न बिन्दुओं का समावेश होगा। भारत के छात्रों को त्या‍ग और समर्पण सिखाने वाली यह शिक्षा नीति होगी। इसमें अध्ययन, अध्यापन के प्रशिक्षण के विभिन्न बिन्दु भी होंगे, जिनसे अध्यापकगण महापुरूषों के जीवन का विवेचन युवाओं को समझा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि भविष्य के मददेनजर अब नौकरी देने वाली शिक्षा की आवश्यकता है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नौकरी देने वाली शिक्षा के सभी पहलुओं का समावेश किया गया है, ताकि युवा मानव जीवन के लिए व्यावहारिक हो सके। वह जीवन मूल्यों को समझ सके। उनमें राष्ट्र प्रथम की भावना का समावेश हो सके।

सेमिनार में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति संजीव शर्मा ने कहा कि इस नीति में समाज के सभी वर्गों की टिप्पणियों का समावेश किया गया है। इस नीति का सभी लोगों ने स्वागत किया है। इससे कला, कौशल, नैतिकता से परिपूर्ण नई पी‍ढी तैयार होगी।