अजमेर। विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स की छठी के दिन मंगलवार को गरीब नवाज की खिदमत एवं जन्नती दरवाजे के बंद होने के बाद औपचारिक समापन हो गया।
उर्स की छठी पर ख्वाजा की दरगाह में जायरीनों का सैलाब उमड़ पड़ा और लोगों के पवित्र मजार पर चादर पेश करने का सिलसिला जारी रहा। उर्स में पाकिस्तान जायरीनों का जत्था भी अजमेर पहुंचा और उन्होंने पाकिस्तान सरकार और अवाम की तरफ से ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश कर शांति एवं अमन चैन की दुआ की।
उर्स की छठी के मौके पर कुरान खानी के बाद कुल की महफिल सुबह करीब नौ बजे हुई। इसके बाद दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेद्दिन महफिल से उठकर जन्नती दरवाजा होते हुए आस्ताने पहुंचे जहां कुल की फातिहा की गई और ख्वाजा गरीब नवाज की मजार खिदमत के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया।
इसी के साथ उर्स का औपचारिक समापन हो गया। हालांकि उर्स में जायरीन का आना जारी रहेगा और दस जनवरी को बड़े कुल की रस्म होगी। शुक्रवार को बड़े कुल की रस्म और जुम्मे की नमाज एक ही दिन होगी। इस दिन जायरीन का सैलाब उमड़ने की संभावना हैं।
उर्स पर सोमवार देर रात ही दरगाह में कुल के छींटे लगाने की रस्म शुरु हो गई और जायरीनों ने रात में दरगाह की दीवारों को गुलाब जल और केवड़े से धोया गया और कुल के छींटे लगाने के लिए दरगाह में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। दरगाह और दरगाह के आसपास एक किलोमीटर तक तमाम रास्ते और गलियां जायरीनों से खचाखच भरी रही। कुल के छींटे देने का क्रम मंगलवार दोपहर तक जारी रहा और दरगाह के खादिमों ने छठी पर कुल की रस्म अदा की। अब दस जनवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ उर्स का पूर्ण समापन हो जाएगा।