दूसरे के माथे पर तिलक करने के लिए स्वयं की उंगली में चंदन जरूरी : स्वामी अशोकानन्द

श्री रामकथा व रामलीला का चौथा दिन
अजमेर। बाबा ईसरदास साहिब के शताब्दी महोत्सव पर ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में चल रही श्री रामकथा व राम लीला मंचन का चौथे दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड पडा।

संतों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम व हनुमान जी की आरती की एवं सभी कलाकारों का भी अभिनन्दन किया गया। महिला श्रद्धालुओं ने झूमकर नृत्य कर माहौल को धार्मिक मय बना दिया। आश्रम में ही चल रहे रामायण का मूल पाठ का विधिवत पूजन कर 21 ब्राहमणों द्वारा पाठ का किया गया। महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, महंन्त स्वरूपदास, महन्त हनुमानराम व संत महात्माओं के सान्निध्य में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं।

पंडित राजू महाराज और पंडित श्याम सुंदर जी की अगवानी में पंद्रह पंडितों द्वारा स्वस्ति वाचन करते हुए राम कथा आयोजन में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम और महंत स्वामी स्वरूप दास जी और व्यास पीठ पर विराजित पंडित अशोकानंद महाराज का राजस्थानी साफा ओर शाल पहना कर स्वागत किया गया।

सिंध सारस्वत ब्राह्मण मंडल अजमेर के पंडित कन्हैया लाल, पंडित कमल भारद्वाज, नक्श भारद्वाज, विशाल भारद्वाज, संजय शर्मा नसीराबाद, प्रकाश शर्मा, मनीष शर्मा, पंकज शर्मा, जयेश शर्मा, गोपाल महाराज, किशन महाराज, माईल शर्मा, कन्हैयालाल तेवूराम शर्मा, ललित शर्मा, योगेश शर्मा ने सभी का स्वागत किया और राम कथा आयोजन के लिए स्वामी जी का धन्यवाद दिया गया। वहीं हरी सेवा धाम भीलवाड़ा से आए इन्द्र देव व सिद्धार्थ ने रामजी व हनुमान जी के भजन क प्रस्तुति दी।

अपनी इन्द्रियों को जीतना चाहिए

अशोकानंद जी महाराज ने आज अपनी कथा प्रारंभ करने के बाद सबसे पहले कहा कि मनुष्य को जितेंद्रिय बनना चाहिए यानी कि अपनी इंद्रियों को जीतना चाहिए। श्वांस जीवन के लिए संघर्ष कर रही है युद्ध कर रही है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में आकर्षण प्रभु के लिए होना चाहिए। प्रभु की भक्ति के लिए समर्पण भी होना चाहिए।

जिस प्रकार से भगवान शिव के प्रति माता पार्वती ने वर्षों तक तपस्या की और भोलेनाथ को प्राप्त किया। भगवान राम के नाम का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीराम के नाम का एक बार स्मरण करने से विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का पुण्य प्राप्त हो जाता है इतनी शक्ति राम नाम में है।

नारायण की लग्न में यह पांचो नसवार, बहु प्रीति बहुवाद

अर्थात भगवान को जानना है यह भगवान को जगाना है तो जीवन में विषय, भोग, निद्रा, प्रीति, और बहू वाद को त्यागना पड़ेगा इसके पश्चात यह पांचो नसवार चीज जब आपको फीकी लगने लगेगी, तब परमात्मा का नाम अपने आप ही मीठा लगने लग जाएगा, और परमात्मा स्वयं आपके सामने आकर खड़े हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम दूसरे के माथे पर तिलक जब लगा पाएंगे जब स्वयं की उंगली में चंदन या तिलक होगा इसलिए पहले स्वयं को तप और जप करके प्रभु की भक्ति के योग्य बनना होगा।

सीता स्वयंवर में श्रीराम ने तोड़ा धनुष

संत गौतम सांई ने बताया कि रामलीला मंचन के दौरान भगवान श्री राम द्वारा सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ा गया, इसके पश्चात राम जानकी विवाह का आयोजन किया गया, इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने राम जानकी विवाह के कन्यादान समारोह में भाग लिया।

रामकथा का समापन कल व धर्म संसद का आयोजन 11 व 12 जनवरी को वहीं दिनांक 11 जनवरी को 10 बजे से 12 बजे रामकथा का समापन होगा व 11 व 12 जनवरी को देश भर से आये संत महात्माओं का धर्म संसद व संत दर्शन के साथ 13 जनवरी को यज्ञ अनुष्ठान, संत आशीर्वाद, समाधि पूजन, आरती प्रार्थना, पल्लव का आयोजन किया जाए।