बिलासपुर। छत्तीसगढ के महासमुंद में कार्यरत कनिष्ठ न्यायिक सेवा अधिकारी आकांक्षा भारद्वाज की सेवाओं को विधि एवं विधायी विभाग ने उच्च न्यायालय की अनुशंसा पर समाप्त कर दिया है।
गत छह जनवरी 2025 को उच्च न्यायालयने उनकी सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की थी, जिस पर विधि एवं विधायी विभाग ने अंतिम आदेश जारी किया। अब, 14 जनवरी को अतिरिक्त सचिव दीपक कुमार देशलहरे ने उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है।
पिछले महीने, भारद्वाज ने सिंगल बेंच में अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ दायर मुकदमा जीतने के बाद पुनः नियुक्ति प्राप्त की थी। राज्य सरकार ने 14 जनवरी को उच्च न्यायालयकी अनुशंसा पर उनकी सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि भारद्वाज को सात वर्ष पहले बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद एकल बेंच ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर उन्हें सीनियर सिविल जज (2) के पद पर पुनः नियुक्ति दी थी। गत तीन दिसंबर 2024 को उन्हें महासमुंद में पदस्थ किया गया था।
भारद्वाज का चयन 2012-13 में सिविल जज (प्रवेश स्तर) के पद के लिए हुआ था। उन्हें 12 दिसंबर 2013 को दो साल की परिवीक्षा पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को ज्वाइन किया। प्रशिक्षण के बाद अगस्त 2014 में उन्हें अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
उनका आरोप था कि जब वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों से न्यायिक मामलों में मार्गदर्शन लेने जाती थीं, तो उनका व्यवहार अनुचित होता था, जिसके बाद उन्होंने उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की।
बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद एकल बेंच ने नौ फरवरी 2017 को जारी बर्खास्तगी आदेश रद्द किया जाए और उन्हें पुराने वेतन के बिना सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल किया जाए। इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालयऔर विधि एवं विधायी विभाग ने अपील की थी।