कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सियालदह की एक अदालत ने कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त 2024 को एक महिला चिकित्सक के दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
सिविल और आपराधिक न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिरबन दास ने सोमवार को 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म करने और बाद में उसकी हत्या के मामले में कोलकाता पुलिस से जुड़े नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अधिवक्ता अनीसुर रहमान ने अदालत के बाहर संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने संजय रॉय को धारा 64, 66 और 103 ए के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
पीड़िता के माता-पिता ने न्यायाधीश से कहा कि वे मुआवजा नहीं बल्कि अपनी बेटी के लिए न्याय चाहते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि उनका आदेश नियमों के तहत आता है और यह आप पर निर्भर है कि आप पैसे का क्या करते हैं।
न्यायालय ने लगभग दो महीने की हाई-प्रोफाइल सुनवाई और लगभग 50 गवाहों की जांच के बाद शनिवार को रॉय को दोषी ठहराया। न्यायाधीश ने आज आजीवन कारावास की सजा की घोषणा की जबकि सीबीआई के वकील ने सबसे कठोर सजा की मांग की और अपराध को दुर्लभतम अपराध बताया। हालांकि न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अपराध दुर्लभतम अपराध नहीं था।
अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायालय कक्ष संख्या 210 को घेर लिया गया था और न्यायालय के बाहर सुरक्षा रेलिंग लगाई गई थी जहां सैकड़ों लोग विशेष रूप से चिकित्सा पेशेवर 500 से अधिक पुलिस कर्मियों की कड़ी निगरानी के साथ अधिकारियों के प्रतिबंध के बावजूद विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
सीबीआई के वकील ने मृत्युदंड पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए मृत्युदंड की जोरदार वकालत की। अपराध की गंभीरता पर जोर देते हुए सीबीआई ने कहा कि ऐसा अपराध बनाना दुर्लभतम अपराध है। दो धाराएं मृत्युदंड देती हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि यह मामला गिरफ्तारी के दायरे में आता है और इसके लिए दुर्लभ सजा दी जानी चाहिए ताकि यह मिसाल कायम करे और समाज में विश्वास पैदा करे।
उल्लेखनीय है कि नौ अगस्त 2024 को उत्तर कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में 31 वर्षीय द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर प्रशिक्षु रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद पूरे देश में चिकित्सकों इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पीड़िता का शव अस्पताल के सेमिनार कक्ष में मिला था। कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 14 अगस्त को कोलकाता पुलिस से मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया।