जयपुर बुकमार्क के दूसरे दिन तकनीकी बदलावों और प्रकाशन व्यवसाय पर उनके प्रभाव पर हुई चर्चा

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के साथ आयोजित होने वाले भारत के प्रमुख प्रकाशन सम्मेलन जयपुर बुकमार्क-2025 के दूसरे दिन शनिवार को कई महत्वपूर्ण सत्र हुए, जिनमें अनुवाद, बच्चों के साहित्य में विविधता, एआई और रचनात्मकता के साथ साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

दुनिया भर के प्रकाशकों, लेखकों, अनुवादकों, संपादकों और किताबों के विक्रेताओं को एक जगह लाने वाला जयपुर बुकमार्क का उद्देश्य साहित्यिक समुदाय के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, व्यापारिक संबंध बनाना और प्रकाशन की नई संस्कृति विकसित करना है। वैश्विक प्रकाशन व्यापार में इस प्लेटफ़ॉर्म का योगदान महत्वपूर्ण है जो कि विचारों के आदान-प्रदान और उद्योग के विकास में मदद करता है।

इस साल के जयपुर बुकमार्क के सत्रों में शामिल ‘स्केनिंग द होराइजन’ सत्र में प्रसिद्ध प्रकाशक ब्रायन मरे ने अनंत पद्मनाभन के साथ चर्चा की। इस सत्र में उन्होंने प्रकाशन उद्योग में हो रहे बदलावों पर विचार व्यक्त किए वहीं एआई एंड क्रियटीविटी: द इमर्जिंग पिक्चर में एआई के साहित्य और रचनात्मकता पर प्रभाव की चर्चा की गई।

इस सत्र में ध्रुवांक वैद्य, पीटर कोवेनी और रोजर हाइफ़ील्ड ने मेरू गोखले के साथ एआई की रचनात्मकता, ऑडियोबुक्स और अनुवाद पर विचार व्यक्त किए गए। एआई पैनल में विशेषज्ञों ने एआई की भूमिका और इसके प्रभाव पर चर्चा की। रोजर हाइफ़ील्ड ने एआई की भविष्यवाणी की क्षमता के बारे में बताया लेकिन साथ ही इसकी समझ में कमी की बात भी की।

पीटर कोवेनी ने बताया कि एआई का उपयोग साहित्य और चिकित्सा खोजों में हो सकता है। ध्रुवांक वैद्य ने एआई के तेजी से सामग्री निर्माण के प्रभावों पर चिंता जताई, खासकर डीपफेक्स और कंटेंट ओवरलोड के मामलों में। मेरू गोखले ने एआई की भूमिका को स्वीकार किया लेकिन इसके साथ प्रामाणिकता बनाए रखने की जरूरत पर भी ज़ोर दिया। इस पैनल ने इस बात पर सहमति जताई कि एआई रचनात्मकता को बढ़ा सकता है लेकिन इसके लिए नैतिक और आलोचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है ताकि इंसानी कल्पना के साथ इसका तालमेल बिठाया जा सके।

सत्र हिंदी के बदलते स्वरूप में पैनलिस्टों ने हिंदी लेखन और साहित्य में गिरावट पर चिंता जताई। हालांकि आज के दौर में नई पीढ़ी ने हिंदी लेखन, कैलीग्राफी और इस कला के प्रति अपनी रुचि को जीवित रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी भाषा की ताकत उसके बोलने वालों में होती है और इस भाषा को जीवित रखने के लिए अधिक से अधिक लोगों को इससे जुड़ना चाहिए।

ब्रायन मरे ने प्रकाशन उद्योग में हो रहे बड़े बदलावों पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे टिक टॉक, इंस्टाग्राम और अमेज़न जैसे नए प्लेटफॉर्म प्रकाशकों के लिए चुनौती बन गए हैं। उन्होंने कहा कि लेखकों और प्रकाशकों को नए दृष्टिकोण अपनाने और बदलाव को स्वीकारने की जरूरत है। उनका कहना था कि आज के समय में लेखक और प्रकाशक को अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना ज़रूरी है ताकि वे इस बदलाव से लाभ उठा सकें।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन राउंडटेबल में वैश्विक प्रकाशन जगत के प्रमुख लोग शामिल हुए, जिनमें अदिति माहेश्वरी-गोयल, इमैनुएल कॉलास, इसाबेल केन्योन, जोन क्रोग पेडर्सन, कन्नन सुंदरम, मेलोडी एंजोबॉल्ट, मीलि ऐश्वर्या, राफाएल थियरी, साबीन वेस्पीसेर, स्टेफेन हुसार, स्वेथा येरम, टिफ़नी गैसौक और वसुधेन्द्र शामिल थे। इस सत्र में प्रकाशकों ने अपने प्रकाशन संस्थानों और आने वाली किताबों की चर्चा की।

जयपुर बुकमार्क अब 12वें साल में प्रवेश कर चुका है और इसने वैश्विक प्रकाशन जगत में अपनी अहमियत को और भी मजबूत किया है। यह एक ऐसा मंच बन चुका है जहां रचनात्मक और पेशेवर एक साथ आकर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, सहयोग करते हैं और सफलता की ओर बढ़ते हैं।