चेन्नई में धोखाधड़ी के आरोप में मदर टेरेसा ट्रस्ट के चार सदस्य अरेस्ट

चेन्नई। तमिलनाडु में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सलेम में मदर टेरेसा ट्रस्ट के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। उऩ पर 200 से अधिक जमाकर्ताओं से 4.3 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है।

सलेम के अम्मापेट में स्थित सेंट मदर टेरेसा ह्यूमेनिटेरियन चैरिटेबल ट्रस्ट के चार सदस्यों को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन चारों ने पिछले दो वर्षों में 200 से अधिक जमाकर्ताओं से धोखाधड़ी की और 4.3 करोड़ रुपएये की ठगी की। गिरफ्तार आरोपियों में ट्रस्ट की संस्थापक विजयाबानु, सह-संस्थापक जयाप्रदा, ट्रस्ट के भागीदार बास्कर और सदस्य सैयद मुहम्मद शामिल हैं।

ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के पास से 12,68,42,850 रुपएये नकद, तीन किलो सोने के आभूषण और 13 किलो चांदी के सामान बरामद किए हैं। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

मदर टेरेसा ह्यूमेनिटेरियन चैरिटेबल ट्रस्ट ने जनता को विभिन्न निवेश योजनाओं में पैसे लगाने के लिए प्रेरित किया। इन योजनाओं में ग्रोसरी योजना-1,000 रुपए जमा करने पर 2,000 मूल्य का राशन 1.5 महीने में देने का दावा, पेंशन योजना- एक लाख रुपए निवेश करने पर सात महीने तक 30 हजार प्रति माह मिलने का वादा किया गया, जिससे कुल 2,10,000 रुपए, हाउसिंग प्लॉट योजना- 10 हजार रुपए प्रति माह 12 महीने (कुल 1,20,000) निवेश करने पर 750 वर्ग फीट का हाउसिंग प्लॉट मिलने का दावा और सोने के आभूषण योजना- 18 हजार निवेश करने पर 1,500 प्रति माह के हिसाब से 12 महीने में पांच ग्राम का सोने का सिक्का देने का वादा किया गया था।

इसके अलावा, ट्रस्ट ने अन्य कई निवेश योजनाओं का भी प्रचार किया, जो जनता को आकर्षित करने के लिए तैयार की गई थीं। हालांकि, ये सभी योजनाएं धोखाधड़ी का हिस्सा थीं, और बाद में इसके तहत लाखों रुपये की ठगी सामने आई।

जनता ने इन वादों पर विश्वास करते हुए, पिछले दो वर्षों में अपनी वित्तीय क्षमता के अनुसार पैसे निवेश किए। हाल ही में, 23 जनवरी को ट्रस्टियों ने सुपर बम्पर योजना पेश की, जिसमें एक लाख रुपये का निवेश करने पर नौ महीने तक 30 हजार प्रति माह मिलने का वादा किया गया।

इसके आधार पर, ईओडब्ल्यू में विजयाबानु, जयाप्रदा, बास्कर और सैयद मुहम्मद के खिलाफ ठगी के आरोप में भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा और बीयूडीएस एक्ट की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसके बाद, ईओडब्ल्यू की एक विशेष टीम, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) शामिल थे, सिवाकामी कल्याण मंडपम पहुंची, जहां ट्रस्ट चल रहा था। वहां जांच के दौरान पाया गया कि पेंशन बम्पर योजना और अन्य धोखाधड़ी योजनाओं के नाम पर जनता से पैसे एकत्र किए जा रहे थे।

गिरफ्तार आरोपियों के पास से 12,68,42,850 नकद, तीन किलो सोने के आभूषण और 13 किलो चांदी के सामान बरामद किए गए। उनको कोयंबटूर के तमिलनाडु जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम (टीएनपीआईडी) अदालत में पेश किया गया, साथ ही बरामद संपत्ति भी अदालत में प्रस्तुत की गई। इसके अलावा, आरोपियों द्वारा इस्तेमाल की गई तीन कारें भी जब्त की गईं।

आगे की जांच में यह सामने आया कि विजयाबानु के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज थे। इनमें अवदी जिला (पूनमल्ले के पास) में दो आरोप, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा, चेन्नई सेंट्रल क्राइम ब्रांच की विभिन्न धारा, चेन्नई के टी. नगर और वाडापलानी में भी आईपीसी की धारा, वेल्लोर जिला क्राइम ब्रांच द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह सभी मामले धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों से जुड़े हुए थे।

अब तक 216 जमाकर्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने 4.3 करोड़ की धोखाधड़ी का दावा किया है, और इस संबंध में और शिकायतें भी प्राप्त हो रही हैं। जिन लोगों ने उक्त ट्रस्ट में अपना जमा पैसा खो दिया है, उन्हें सलेम की ईओडब्ल्यू में संबंधित दस्तावेजों के साथ अपनी शिकायत दर्ज कराने की अपील की गई है।