जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाते हुए प्रदेश को खुशहाल एवं विकसित बनाने का बताते हुए विपक्ष पर जोरदार हमला बोला और उसे आईना दिखाते हुए कहा है कि मैं किसान का बेटा हूं और मेरी आवाज को दबाई नहीं जा सकती लेकिन दलित किसान के बेटे एवं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को कांग्रेस ने बोलने तक नहीं दिया, इसका बड़ा दुख है।
शर्मा ने सोलहवीं विधानसभा के तृतीय सत्र में शुक्रवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर दो घंटे दो मिनट तक सम्बोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने करीब दो घंटे तक राजस्थान के विकास पर की बात करते हुए विपक्ष को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि वह किसान के बेटे हैं, उनकी आवाज को कोई दबा नहीं सकता, जितनी नकारात्मक कोशिशें विपक्ष करता रहेगा, हम उससे ज्यादा मजबूत और दूरदृष्टि के साथ विकास के नए अध्याय लिखते जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान का पसीना ही किसान की ताकत है और उनका सशक्त आधार है। हमारे किसान अपनी मेहनत के बल पर प्रदेश के चहुंमुखी विकास को गति दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री भोले हैं, मैं जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूं और सरपंच से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा हूं, मुझे सब मालूम हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष उन्हें पहचाने में गलती कर रहा है कि वे जो समझ रहे है, मैं वह नहीं हूं। मैं ब्याज सहित लेने वाला हूं और आपकी गलतफहमी दूर हो जाएगी और तब पता चलेगा कि मुख्यमंत्री कैसे हैं। मुख्यमंत्री अपने पूरे जवाब में हंसते रहे और विपक्ष से कहते रहे कि आप जितनी आवाज करोंगे, उतनी ज्यादा मेरी आवाज बढ़ती जाए क्योंकि यह भजनलाल की आवाज नहीं हैं, यह प्रदेश के आठ करोड़ लोगों की आवाज हैं और यह आवाज दबने वाली नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देखकर दुःख हुआ कि कांग्रेस पार्टी ने बड़ा षड़यंत्र रचते हुए आज पवित्र सदन में दलित किसान के बेटे को बोलने तक नहीं दिया। राजस्थान विधान सभा के इतिहास में यह पहला मौका है कि जब प्रतिपक्ष ने अपने ही नेता की आवाज को दबा दिया जबकि हम तो एक मजबूत विपक्ष चाहते हैं। शर्मा ने कहा कि मैं समाज के अंतिम व्यक्ति और किसान एवं गरीब का दर्द भलीभांति जानता हूं। यह तो पहला ही वर्ष है। हम निरंतर प्रदेशवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों से संकल्प पत्र और बजट में जो वादे किए, उन्हें धरातल पर उतार रहे हैं। पहले साल में ही 55 प्रतिशत घोषणाएं पूरी कर आमजन के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास को और अधिक मजबूत किया हैै। उन्होंने आंकड़ों के जरिए अपनी सरकार के लक्ष्य को सदन में रखा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने पांच साल में कुल 4 हजार 148 घोषणाएं की और उनमें से आधी ‘लगभग एक हजार 921‘ घोषणाएं अपूर्ण रहीं। उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपके बड़े मुखिया को लगता था कि ‘खुल जा सिम-सिम‘ कहने से ही विकास हो जाएगा, लेकिन विकास के लिए तो पसीना बहाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि गत सरकार ने जल जीवन मिशन में बड़े घोटाले किए, जिनसे देश में प्रदेश की बदनामी हुई हैं। गत सरकार ने नल से जल मिलने के सपने को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हमारी सरकार ने पहल करते हुए केंद्रीय नेतृत्व के सहयोग से मिशन की अवधि को मार्च 2028 तक बढ़ाया, जिससे अब लाखों घर तक पानी पहुंच रहा है। यह हमारी डबल इंजन सरकार की शक्ति है।
शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ईआरसीपी को चुनावी झुनझुना बनाकर जान बूझकर लटकाया, अटकाया और भटकाया। हमारी सरकार ने राम जल सेतु लिंक परियोजना के तहत सबसे मजबूत आधार नवनेरा बैराज के निर्माण को पूरा करवाते हुए 17 जिलों के वर्षों पुराने सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब हमारी सरकार द्वारा इसका दायरा बढ़ाते हुए हमने पूर्व प्रस्तावित 3510 एमसीएम को बढ़ाकर 4102 एमसीएम जल प्राप्त करने का समझौता किया है।
वहीं, विपक्ष ‘राम‘ शब्द को लेकर भी सवाल उठा रहा है, जबकि यह तो राजस्थान के “रा” और मध्यप्रदेश के “म” से मिलकर बना है। विपक्ष को अब इसमें भी पीड़ा होने लगी है। उन्होंने कहा कि गत सरकार किसान, युवा और मजदूर विरोधी रही हैं। उन्होंने इनके विकास के लिए नीतियां तक नहीं बनाई। हमारी सरकार ने एक ही साल में कई नीतियों को बनाने के साथ समयबद्ध लागू किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा चुनाव में गमछा लहराने वाले नेता बताएं कि वह किसके साथ हैं। वह जनता को बताए कि हरियाणा में कांग्रेस के घोषणा पत्र में यमुना का पानी लाने के समझौते को रद्द करके शेखावाटी क्षेत्र को प्यासा रखने का वादा किसने किया था लेकिन हरियाणा और राजस्थान की जनता ने इनके मंसूबों को साकार नहीं हो दिया। राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनाव में भी डोटासरा का मोरिया बोल गया। उन्होंने कहा कि चाहे विपक्ष कितनी भी राजनीति करें, हम चूरू, सीकर और झुंझुनूं जिलों के सूखे कंठों की प्यास बुझाएंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं के भरोसे और विश्वास पर खरी उतरी है। हमने पांच वर्षों में चार लाख राजकीय नियुक्तियों की घोषणा की थी। अभी तक 59 हजार से अधिक नियुक्तियां दी जा चुकी है और एक लाख 72 हजार 990 प्रक्रियाधीन है। हाल ही में वर्ष 2025 के लिए परीक्षा कैलेंडर जारी किया है। यह हमारे मजबूत इरादों और संकल्पबद्ध निर्णयों को परिलक्षित करता है। संभवतः राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसा संभव हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम वर्षों से अटकी चतुर्थ श्रेणी भर्ती को पूरा करने में जुटे हैं, ताकि हर युवाओं को हर पद पर राजकीय नौकरी करने का अवसर मिले। लेकिन सदन में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ने तो चतुर्थ श्रेणी भर्ती परीक्षा को मजाक ही बता दिया। यह उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। ‘हो भी क्यों ना, क्योंकि उनका ध्यान सिर्फ आरएएस जैसी भर्ती पर ही रहा।‘
शर्मा ने कहा कि गत सरकार पेपरलीक की सरगना सरकार बनी रही और हमने 15 दिसम्बर, 2023 को सत्ता संभालने के अगले ही दिन पेपरलीक रोकथाम के लिए एसआईटी गठित की। इसमें अभी तक 100 एफआईआर एसओजी थानों में दर्ज करते हुए 266 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया। हमारी सरकार युवाओं के सपनों को साकार करने की दिशा में हर संभव आवश्यक कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि गत सरकार आपसी खींचतान और कुर्सी बचाने में ही लगी रही और कोविड जैसी महामारी में भी जनता की सुध लेने के बजाय होटल में आराम फरमाती रही। इसका भी परिणाम रहा है कि गत सरकार ने महिला अत्याचार, दुष्कर्म, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिक दंगे, बेरोजगारी से आत्महत्या, महंगाई और महंगी बिजली में प्रदेश को नम्बर वन बना दिया। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से कहा कि दुर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाए, मरे बैल की चाम सौं, लौह भस्म हो जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है जबकि गत सरकार के समय पर अराजकता फैली हुई थी। उनके एक वरिष्ठ सदस्य ने तो प्रदेश को ‘मर्दों का प्रदेश‘ तक बोल दिया था। वहीं, महिलाओं के प्रति हमारी सरकार पूर्ण संवेदनशील है। इसी का परिणाम है कि महिला अत्याचार मामलों में 10.61 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों के विकास में हमने पक्ष और विपक्ष को नहीं देखा। गत बजट से पहले नेता प्रतिपक्ष को बुलाकर राय भी जानने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि मैं किसान का बेटा हूं। अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति, मजदूर, गांव में रहने वाला और किसान व गरीब के प्रति मेरी हमदर्दी हमेशा रहेगी। उनके लिए काम करते हुए मेरी जान भी जाए तो परवाह नहीं है। विपक्ष ने कभी भी गरीबों का दर्द नहीं समझा। क्योंकि जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।