दुनिया के 50 फीसदी से अधिक सनातनियों ने लगाई त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी

महाकुंभनगर। मानव इतिहास का सबसे बड़े आयोजन महाकुंभ में दुनिया के 50 फीसदी से अधिक सनातन धर्मावलंबियों ने संगम में स्नान किया। दुनिया का पहला आयोजन जहां 60 करोड़ से अधिक सनातनी बने सबसे बड़े आयोजन के गवाह बने।

प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हो रहे दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ ने शनिवार को नया इतिहास रच दिया है। यहां अब तक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम कर दी है।

किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक अथवा सामाजिक आयोजन में मनुष्य के अब तक के इतिहास की 60 करोड़ से अधिक की यह संख्या सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में कुल 120 करोड़ सनातनी हैं। इस लिहाज से महाकुम्भ में दुनिया के आधे से अधिक सनातनी त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाकर पुण्य फल प्राप्त कर चुके हैं।

26 फरवरी को शिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व तक यह संख्या 65 करोड़ से भी ऊपर पहुंच सकती है। भारत की इस प्राचीन परंपरा ने अपनी दिव्यता और भव्यता से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार स्नानार्थियों की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। उन्होंने शुरुआत में ही 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई थी। बता दें कि उनका यह आकलन बीते 11 फरवरी को ही सच साबित हो गया था।

वहीं शनिवार (22 फरवरी) को यह संख्या 60 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गई है। अभी महाकुम्भ के समापन में 5 दिन शेष हैं और महत्वपूर्ण महाशिव रात्रि का स्नान पर्व बचा है। पूरी उम्मीद है कि स्नानार्थियों की यह संख्या 65 करोड़ के ऊपर जा सकती है।

महाकुंभ के महाआयोजन में 73 देशों के राजनयिक और भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक समेत तमाम देशों के अतिथि यहां अमृत स्नान करने पहुंचे। यही नहीं, मां जानकी के मायके नेपाल के 50 लाख से अधिक लोग अब तक त्रिवेणी के पवित्र जल में स्नान कर महाकुम्भ के साक्षी बन चुके हैं। भारत एक धार्मिक देश है। यहां एक नहीं, बल्कि कई धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ मिलकर रहते हैं।