सिरोही जिले के कई निकायों में प्रशासकों की नीरसता से अटके कई काम

सिरोही नगर पालिका में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करते प्रशासक।
सिरोही नगर पालिका में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करते प्रशासक।

सिरोही। राजस्थान सरकार ने मोदी सरकार की नीतियों का समर्थक प्रदर्शित करने के लिए एक राज्य एक चुनाव की नीति को लागू करने का प्रयास किया। उनके इस प्रयास से आलाकमान शायद खुश हो जाएं लेकिन, इसमें उन्होंने जनता का जीवन नारकीय बना दिया है।

सिरोही जिला मुख्यालय और माउण्ट आबू दोनों ही जगह प्रशासकों ने आम आदमी को राहत देने की बजाय आहत ज्यादा किया। सिरोही मे तो हालात बदतर बना दिए हैं, माउंट आबू में पूर्व प्रशासक के स्थानांतरण के बाद नए प्रशासक से उम्मीद बंधे लोगों ने उन्हें ज्ञापन सौंपना शुरू किया है।

राजस्थान में पहले दो फेज में नगर पालिका और पंचायतों के चुनाव होते थे। इन चुनावों को एकसाथ करवाने के लिए नगर पालिकाओं और पंचायत समितियों में प्रशासक नियुक्त किए गए। सिरोही जिले में सिरोही, शिवगंज, पिण्डवाडा और माउण्ट आबू नगर निकायों में पहले फेज में नगर निकाय बोर्ड के चुनाव हुए थे। इनका कार्यकाल नवम्बर 2023 में खतम होने के बाद दूसरे फेज के निकायों के साथ चुनाव करवाना प्रस्तावित किया गया।

इसके लिए इन निकायों में प्रशासक बनाए गए। इन प्रशासकों को वो सब अधिकार थे जो पूरे बोर्ड के पास थे। सिरोही में जिला कलेक्टर को और शेष जगहों पर उपखण्ड अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया। सिरोही जिले में सिरोही और माउण्ट आबू मे प्रशासक नियुक्ति के बाद जनता से जुडे कई काम अटके जो अब तक आगे नहीं बढ पाए।

जिला कलेक्टर सिरोही के प्रशासक

नवम्बर 2024 को सिरोही नगर परिषद के बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यहां पर राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर को प्रशासक नियुक्त किया था। कलेक्टर ने अपने ये अधिकार अतिरिक्त कलेक्टर को हस्तांतरित कर दिए थे। प्रशासक नियुक्ति के बाद अतिरिक्त कलेक्टर के नगर परिषद के प्रशासनिक कार्यों के प्रति नीरसता रखने का आरोप लग रहे हैं। कई मुख्य पत्रावलियां उनके हस्ताक्षर के अभाव में अटकी हुई हैं।

विकास कार्य और बिलों पर रोक

नगर निकायों में बोर्ड सर्वेसर्वा होता है। ऐसे में उसके निर्णय के बिना कोई काम नहीं किया जा सकता। यू कुछ सीमित बजट के लिए नगर निकायों में विकास कार्य करवाने का एकाधिकार अधिशासी अधिकारियों को दिया गया है। लेकिन, बडे बजट के लिए बोर्ड की अनुमति की आवश्यकता होती है। बोर्ड के समस्त अधिकार प्रशासकों के पास चले जाने के बाद सिरोही जिला मुख्यालय पर प्रशासक की नीरसता से बडे काम नहीं हो पा रहे हैं।

निकायों में वित्तीय अधिकार सिर्फ अधिशासी अधिकारी या आयुक्त को नहीं है। इसके लिए बोर्ड अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारियों को संयुक्त हस्ताक्षर करने होते हैं। ऐसे में बिल भी अटके हुए बताए जा रहे हैं।

वहीं माउण्ट आबू में बोर्ड के समस्त अधिकार वहां के उपखण्ड अधिकारी में समाहित कर दिए गए। जब तक माउण्ट आबू में निर्माण को मास्टर प्लान के अनुसार उच्च न्यायालय ने वैध नहीं किया था तब तक धडल्ले से अवैध निर्माण हो रहे थे। जैसे ही उच्च न्यायालय ने विधिक तौर पर निर्माण अनुमति जारी करने के आदेश जारी किए पूर्व उपखण्ड अधिकारी ने शांति धारण कर ली।

उनकी नीरसता का परिणाम ये हुआ कि माउण्ट आबू की संघर्ष समिति को वैधानिक अनुमतियां नियमित और समयबद्ध नहीं करने पर फिर से माउण्ट आबू बंद की चेतावनी देनी पडी। पूर्व उपखण्ड अधिकारी निर्माण मरम्मत के लिए एक नियमित प्रक्रिया की शुरूआत भी नहीं कर पाए। अब नए उपखण्ड अधिकारी ने नगर पालिका के प्रशासक के रूप में सफाई कार्य तो शुरू करवाया है। आबू संघर्ष समिति ने इन्हें ही निर्माण और मरम्मत की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से शुरू करने को ज्ञापन भी दिया है।

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