सबगुरु न्यूज- आबूरोड। अनुशासन की कथित पैरोकार और संस्कारी व्यक्ति निर्माण करने का दावे करने वाले संगठन की राजनीतिक पार्टी के नेताओं की कथित अनुशासनहीनता का एक उदाहरण आबूरोड रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला। इस अनुशासनहीनता में उसी नेता के मौखिक आदर्शों को चुनौती दे दी जाए जिनके दम पर पार्टी खड़ी है तो ऐसी अनुशासनहीनता पर विचार करना जरूरी हो जाता है। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला के आबूरोड प्रवास के दौरान सिरोही के भाजपा नेता इसी तरह की अनुशासनहीनता करके मोदी सरकार को आर्थिक चूना लगाने का आरोप लगाते नजर आए।
स्टेशन परिसर में लगा दिया होर्डिंग
आबूरोड में बड़े नेताओं के आने पर ट्रेन में रबड़ी पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म पर जाने का शगल अब इस हद तक बढ़ गया कि अब नेता इन प्लेटफॉर्म्स को बड़े नेताओं की मिजाजपुर्सी के लिए होर्डिंग्स से पाटकर यात्रियों को परेशान करने से नहीं चूक रहे। सत्ता की धमक में अनुशासन और नियमों के घता बैठाने वाले नेताओं की लोग भी निंदा करने लगे। इन्होंने स्टेशन परिसर में टिकिट विंडो के सामने की डियर और प्लेटफॉर्म नंबर 1 को भी बड़े बड़े होर्डिंग्स से पाट दिया।
लेनी होती है अनुमति, भरने होते हैं पैसे
ऐसा नहीं है कि रेलवे स्टेशन परिसर में होर्डिंग नहीं लगा सकते। लेकिन उसके लिए प्रॉपर चैनल से आवेदन करके निर्धारित शुल्क भरना होता है और अनुमति मिलने पर रेलवे द्वारा निर्धारित स्थान पर ही प्लेटफॉर्म या स्टेशन परिसर में होर्डिंग लगा सकते हैं। ऐसा नहीं करके रेलवे की आय में सेंधमारी की है। देशभर में रेलवे और नगर पालिकाएं ऐसे लोगों से परेशान है। लेकिन जब ऐसे लोग उसी राजनीतिक संगठन से हो जिन पर इन व्यवस्थाओं में सुधार की जिम्मेदारी है तो फिर ये मुद्दा और महत्वपूर्ण हो जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय समेत कई न्यायालयों ने रेलवे परिसर में लगाए जाने वाले अनधिकृत होर्डिंग और बैनर के संबंध में समय समय पर ताकीद भी किया है।
यात्रियों को परेशानी
आबूरोड में 27 फरवरी को लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला आए थे। इनके आने पर भाजपा नेताओं द्वारा जिले में स्वागत और अभिनंदन भी किया गया। खुद को प्रमोट करने के लिए बड़े बड़े होर्डिंग्स भी लगवाए गए थे। भाजपा सांसद लुंबाराम चौधरी ने अपना होर्डिंग स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 1 पर ही जमीन पर लगवा दिया। इससे रणकपुर से लेकर राजधानी एक्सप्रेस तक के यात्रियों को परेशानी हुई। वहीं भाजपा महामंत्री नरपत सिंह और अजय ढाका का होर्डिंग भी प्लेटफॉर्म पर ही लगा था।
भाजपा के अध्यक्ष पद के दावेदार गणपतसिंह, भाजपा जिला महामंत्री नरपत सिंह और भाजयुमों के जिला संयोजक अजय ढाका ने अपने होर्डिंग्स प्लेटफॉर्म नंबर 1 के स्लोप के पास टिकिट विंडो के सामने की दीवार पर लगवाए हुए थे। ये काम शाम को करीब 6 बजे के आसपास रणकपुर एक्सप्रेस के आने के दौरान किया गया। जिस आनन फ़ानन और बेतरतीब तरीके से स्टेशन के अंदर 4 होर्डिंग लगाए गए उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इसके लिए न तो रेलवे से पूर्व अनुमति ली गई और न ही रेलवे की फीस भरी गई। क्योंकि ऐसा किया गया होता तो ये होर्डिंग रेलवे के द्वारा निर्धारित स्थान और ही लगते, प्लेटफॉर्म के फर्श पर यात्रियों को दुविधा पैदा करने वाली जगह पर नहीं।
इस दौरान सांसद लुंबाराम चौधरी स्पीकर ओम बिड़ला के साथ ही थे। ऐसे में ये प्रतीत होता है कि ये प्लेटफॉर्म नंबर एक के फर्श पर जो होर्डिंग लगाए उनसे वे भी अंजान होंगे। राजधानी एक्सप्रेस के जिस कोच से ओम बिड़ला को जाना था उसके ठीक सामने ही संसद और नरपत सिंह का होर्डिंग लगा था। इनका स्थान देख कर स्पष्ट लग रहा है कि सांसद और ओम बिड़ला की गुड बुक में आने के लिए सांसद के ही उत्साहित समर्थक ने इस तरह से रेलवे को आर्थिक नुकसान और यात्रियों को परेशान करने काम किया होगा। लोग इनके इस काम पर लोग ये टिप्पणी करते दिखे कि सत्ता का दुरुपयोग करके कायदे ताक में रखने का ये एक उदाहरण है।
राजनीतिक निशाने यहां भी
होर्डिंग में रेलवे को चूना लगाया वह एक मुद्दा है, वहीं अपनी ही पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं को इससे हटा दिया गया ये दूसरा मुद्दा है। ये शर्मनाक है कि जिस शहर में ये स्टेशन है उसके पालिकाध्यक्ष अपनी ही पार्टी में वो स्थान नहीं बना पाए जिससे पार्टी के दूसरे नेता उन्हें अपने होर्डिंग में स्थान दें। स्टेशन परिसर और प्लेटफॉर्म पर लगे होर्डिंग्स में आबूरोड नगर पालिकाध्यक्ष मगन दान की तस्वीर ही नदारद थी। यहां तक कि सांसद वाले होर्डिंग से भी पालिका अध्यक्ष की तस्वीर और नाम नदारद था। ये पहली बार हुआ हो ऐसा नहीं है। करीब एक साल पहले जब देवजी पटेल सांसद थे और पिंडवाड़ा स्टेशन पर दौलतपुर एक्सप्रेस के स्टॉपेज के लिए कार्यक्रम था तब भी उन्हें स्टेशन पर सजे मंच और सामने लगी कुर्सी पर बैठने का मौका नहीं मिला, उस समय भी वे प्लेटफॉर्म छोड़कर चले गए थे।