कटरा से कश्मीर रेल लिंक का उद्घाटन खराब मौसम के चलते स्थगित

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल परियोजना (यूएसबीआरएल) के उद्घाटन का कार्यक्रम खराब मौसम के कारण स्थगित हो गया है।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 19 अप्रैल को दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलपुल और अंजी खड्ड रेलपुल का उद्घाटन तथा माता वैष्णोंदेवी कटरा से श्रीनगर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस के विशेष कश्मीर संस्करण को हरी झंडी दिखा कर शुभारंभ करने का कार्यक्रम था। इसके लिए प्रधानमंत्री का चिनाब रेलपुल और फिर अंजी खड्ड पुल पर जाने का कार्यक्रम बना था तथा इसके लिए दो हैलीपैड बनाए गए थे। लेकिन 19 अप्रैल से 22 अप्रैल तक मौसम की प्रतिकूलता के कारण प्रधानमंत्री का जाना संभव नहीं हो पाता।

सूत्रों ने कहा कि उद्घाटन कार्यक्रम की नई तिथि अप्रैल के अंतिम सप्ताह या मई की शुरुआत में तय किए जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ऐतिहासिक अवसर होगा। वर्तमान में कटरा के दूसरी ओर बारामूला से संगलदान तक रोज़ाना 23 रेल सेवाएं संचालित होतीं हैं जिनसे रोज़ाना 15 हजार यात्री सफ़र करते हैं। कटरा से कश्मीर की सीधी कनेक्टविटी खुलने ये संख्या 25 हजार तक हो जाने की संभावना है।

सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में 20 अप्रैल से वंदे भारत एक्सप्रेस की दो सेवाएं सप्ताह में पांच दिनों तक और सप्ताह के बाकी दो दिन एक एक सेवाएं चलेगी। आगे चल कर दो रैक के माध्यम से तीन सेवाएं भी की जा सकतीं हैं। वर्तमान में सर्वाधिक यात्री बानिहाल से श्रीनगर के बीच यात्रा करते हैं। बारामूला, सोपोर एवं अनंतनाग ऐसे स्टेशन हैं जहां से प्रतिदिन 1000 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है।

अनंतनाग स्टेशन से पर्यटक पहलगाम जाते हैं और हर साल आषाढ़ एवं श्रावण मास में होने वाली अमरनाथ यात्रा भी पहलगाम होकर जाती है। इसलिए अमरनाथ के तीर्थयात्रियों के लिए भी अनंतनाग महत्वपूर्ण स्टेशन है।

सूत्रों के अनुसार यूएसबीआरएल परियोजना में चिनाब पुल को भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग में सबसे अहम मील का पत्थर माना जाता है। चिनाब पुल की नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर होगी। फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर की ऊंचाई 324 मीटर है। जबकि कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से करीब 35 मीटर अधिक होगी। विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा रेलपुल चीन के बेईपैन नदी पर बना शुईबाई रेलवे पुल है जिसकी ऊंचाई 275 मीटर है।

करीब 1315 मीटर लंबे चिनाब रेल पुल नदी के दोनों छोरों को इस्पात के एक विशालकाय अर्द्धचंद्र आकार के ढांचे से जोड़ा गया है। पुल के निर्माण में 25 हजार टन से अधिक इस्पात का इस्तेमाल किया गया है। पुल की आयु 120 साल है।

यह क्षेत्र भूगर्भीय हलचल की दृष्टि से ज़ोन चार में आता है, लेकिन पुल का निर्माण सर्वाधिक हलचल वाले ज़ोन पांच की ज़रूरतों के हिसाब से किया गया है। यह पुल रिक्टर पैमाने पर आठ तीव्रता के झटके को आसानी से झेल लेगा। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेज़ हवा को सहने में सक्षम होगा। रेलवे पुल में हवा की रफ्तार नापने के लिए सेंसर भी लगाया गया है। ऐसी व्यवस्था की गई है कि 90 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हवा की रफ्तार होने पर सिग्नल लाल हो जाएगा और रेल संचालन को रोक दिया जाएगा।

आतंकवादी गतिविधियों या तोड़फोड़ की अन्य गतिविधियों की आशंका के कारण इसे इतना सुरक्षित बनाया गया है कि 40 किलोग्राम तक के टीएनटी विस्फोट से इस पुल का बाल भी बांका नहीं होगा। पुल में 63 मिमी मोटा विशेष ब्लास्ट प्रूफ स्टील इस्तेमाल किया गया है। पुल के खंभे इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि वे धमाकों को झेल सकें। साथ ही खंभों पर जापान से आयातित ओलिव ग्रीन कलर का पेंट किया गया है ताकि दुश्मन की नज़र से बचाया जा सके। यह पेंट कम से कम 15 साल चलेगा।

पुल की निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होगी। साथ ही आपातकालीन स्थिति में पुल और यात्रियों की रक्षा के लिए एक ऑनलाइन निगरानी और चेतावनी प्रणाली लगाई जाएगी। रियासी के पास चिनाब रेलपुल के दक्षिण में स्थित अंजी खड्ड पुल, अंजी नदी की गहरी खाई पर बना है। यह भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है। भारत में दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे पुल होने के नाते यह, कौरी में चिनाब पुल के बाद बना है। अंजी खड्ड पुल से 28 मीटर (92 फुट) अधिक है और पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर (115 फुट) ऊंचा है। अंजी खड्ड पुल का डेक नदी के लेवल से 331 मीटर ऊपर है।

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना के तहत 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई गयी है। इस परियोजना का निर्माण साल 1997 से चल रहा है। इस परियोजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है उधमपुर-कटरा, कटरा-बनिहाल, बनिहाल-श्रीनगर-बारामुला। 25 किलोमीटर लंबी उधमपुर-कटरा तथा लगभग 184 किलोमीटर का संगलदान-बारामूला खंड चालू हो चुका है।

जबकि संगलदान से कटरा तक करीब 45 किलोमीटर का ट्रैक इस साल जनवरी में बन कर तैयार हो चुका है जिसका उद्घाटन 19 अप्रैल को हाेगा। इस पर करीब 41 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। इस मार्ग पर देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-49 बनी है। इस परियोजना में 943 पुल और 1196 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनाईं गई हैं। कटरा से बारामूला के बीच 17 प्रमुख स्टेशन हैं।