कलकत्ता हाईकोर्ट ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के बाद भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाई

कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा एवं तोड़फोड़ के बाद गुरुवार को भड़काऊ भाषणों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इस विरोध प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हो गई थी।

अदालत के सूत्रों ने बताया ​कि न्यायमूर्ति सौमेन सेन और राजा बसु चौधरी की पीठ ने केंद्रीय बलों के विस्तार पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय बलों को अभी हिंसा प्रभावित जिले में रहने का निर्देश दिया। संकटग्रस्त मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात की गई हैं।

पीठ ने राज्य सरकार को हिंसा की जांच करने और अपने घरों से भागे लोगों के पुनर्वास के लिए एक टीम बनाने का आदेश दिया। हिंसा से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की सुविधा के लिए एक समिति गठित की जाएगी।

अदालत ने कहा कि समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य होने की संभावना है। समिति का काम प्रभावित लोगों की पहचान करना और उन्हें भोजन तथा आश्रय प्रदान करना होगा। राज्य को जल्द ही पुनर्वास योजना लाने के लिए कहा गया।

अदालत ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका के बाद पिछले शनिवार को अपनी पहली सुनवाई में एक विशेष बैठक में बड़े पैमाने पर हिंसा के बारे में बताए जाने के बाद केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का आदेश दिया जिससे कई लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा।

अदालत ने राजनीतिक दलों और अन्य लोगों को निर्देश दिया कि वे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के पारित होने के बाद पश्चिम बंगाल में कोई भी भड़काऊ भाषण न दें।

न्यायाधीशों ने कहा कि किसी भी पक्ष द्वारा कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया जाना चाहिए, हालांकि उन्होंने कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने टिप्पणी की, कि हम उस सब में नहीं पड़ रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र बल कुछ और समय तक रहेंगे।