कांग्रेस ही नहीं भाजपा के एमएलए से भी वही व्यवहार, अधिकारी कितने जिम्मेदार!

आबूरोड में गृहमंत्री के आगमन पर उनका अभिनन्दन करते पिंडवाड़ा आबू विधायक समाराम गरासिया।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। गृहमंत्री अमित शाह के आबूरोड आगमन के दौरान कांग्रेस के एमएलए ही नहीं भाजपा के सिटिंग एमएलए भी मनमानी के व्यवहार के शिकार हुए थे। कथित रूप से प्रोटोकॉल होते हुए भी गृहमंत्री से मिलने वालों की सूची में रेवदर के एमएलए मोतीराम कोली का नाम नहीं था वहीं पिण्डवाडा-आबू के विधायक समाराम गरासिया की गाडी का पास ही जारी नहीं किया गया। पार्टी सूत्रों की मानें तो इसे लेकर हवाई पट्टी पर समाराम गरासिया ने पुलिस अधीक्षक और जिलाध्यक्ष रक्षा भंडारी से कडी आपत्ति जताई।
-यूं जताई आपत्ति
पार्टी और समाराम गरासिया के करीबियों की मानें तो यूं गरासिया को रोका नहीं गया। लेकिन, एमएलए होते हुए उनकी गाडी का पास नहीं जारी होने से उनके आत्मसम्मान उनकी विधानसभा के मतदाताओं के विश्वास को ठेस माना। ऐसे में गाडी के हवाई पट्टी पर घुसते ही उन्हें पुलिस अधीक्षक और

जिलाध्यक्ष मिले तो उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई। सूत्रों के अनुसार उन्होंने बीस साल से एमएलए होने के कारण ऐसे विजिट्स में आजतक ऐसा नहीं होने की बात कही।  उनका  विशेषाधिकार भी बताया। बाद में पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप से उनकी गाडी का पास जारी हुआ। लेकिन, दूसरे मामले में अनुरोध के बाद जिला स्तर पर ही मुलाकात की व्यवस्था होने की व्यवस्था होने के बावजूद जिला प्रशासन ने मोतीराम कोली के गृहमंत्री से मिलने की सूची में नाम नहीं डाला। ये स्थिति भाजपा के सबसे बड़े फाइनेंसर और एक मोर्चे के जिला पदाधिकारी की भी रही। वो भी सूची में नाम नहीं होने के कारण उपेक्षित कर दिया गया।

यूं पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा जिला स्तरीय पदाधिकारी ने ही समाराम गरासिया के करीबी को फोन करके ये पूछा था कि एमएलए सांसद की गाडी में चले जाएंगे क्या? लेकिन, गरासिया के करीबी ने इस पर मना कर दिया। इसके बाद भी एमएलए की गाडी का पास जारी नहीं हुआ। इसी मनमानी और नई व्यवस्था को लागू करने की वजह से समाराम गरासिया ने प्रशासन और संगठन पदाधिकारी के सामने सख्त आपत्ति जताई। जिले से लेकर राज्य तक के नेताओं की इसी तरह की राजनीति का शिकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के दौरान 2023 में ओटाराम देवासी के होने का भी आरोप लगा था और उनकी भी उस समय पार्टी के जिले और प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी से बहस हुई थी।
-गाडी का पास जारी हो सकता है तो विधायक पास क्यों नहीं?
विशिष्ट मेहमानों के आगमन पर उनके प्रोटोकॉल में शामिल लोगों और उनके वाहनों के लिए पास बनाने की पहली सीढी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक हैं। इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में अब सवाल ये उठने लगा है कि भाजपा विधायक की गाडी का पास नहीं बनने पर उनका पास जिला स्तरीय अधिकारी के हस्तक्षेप से जारी हो सकता है तो फिर कांग्रेस के एमएलए मोतीराम कोली का सूची में नाम क्यों नहीं शामिल हो सकता?

यही नहीं केंद्र या राज्य में मंत्री कांग्रेस के हों या भाजपा के उन्हें इतना प्रोटोकॉल तो मालूम है कि उन्हें जनप्रतिनीधी को सम्मान देना है। ऐसे में वीआईपी प्रोटोकॉल में शामिल अंतिम सुरक्षा अधिकारी भी जिले स्तरीय अधिकारियों द्वारा भेजी गई जनप्रतिनिधियों की सूची पर कैंची नहीं चलाते हैं।

ऐसे में कांग्रेस जो विशेषाधिकार हनन का आरोप लगा रही है अगर वाकई जिला कांग्रेस के नेता संयम लोढा के कथनानुसार कांग्रेस इस मुद्दे पर अपने स्टेण्ड को कायम रखते हुए विशोषाधिकार हनन की कार्रवाई करती है तो इसकी जद में सिरोही कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी आ सकते हैं।