अजमेर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के अध्यक्ष प्रो मनोज बहरवाल एवं महामंत्री प्रो रिछपाल सिंह ने एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी कर 27 अप्रैल को राजकीय महाविद्यालय चित्तौड़गढ़ में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान व्यक्त किए गए अर्बन नक्सली विचारों, राष्ट्रविरोधी एवं संस्कृति विरोधी वक्तव्यों पर गहरी आपत्ति और आक्रोश व्यक्त किया है।
महासंघ ने इस बात की कठोर शब्दों में निंदा की है कि संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं ने भारतीय सनातन परंपराओं, सांस्कृतिक मूल्यों एवं हमारे राष्ट्रीय मानबिंदुओं के विरुद्ध तिरस्कारपूर्ण, व्यंग्यात्मक एवं अमर्यादित टिप्पणियाँ कीं। भगवान श्रीराम एवं माता सीता के वनगमन प्रसंग जैसे गहन आस्था से जुड़े प्रसंग पर उपहास उड़ाना करोड़ों देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का अपमान है, जिसे किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जा सकता।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस राजकीय महाविद्यालय को विद्या, संस्कृति और राष्ट्रनिर्माण का केंद्र होना चाहिए, वही साहित्य के नाम पर समाज को दिग्भ्रमित करने एवं तोड़ने वाले विचारों का मंच बन गया। संगोष्ठी में जिन वक्ताओं को बुलाया गया, उनमें से अधिकांश समाज में विघटन फैलाने वाले, राष्ट्र विरोधी विचारों और टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थक के रूप में जाने जाते हैं। साहित्य की आड़ में ऐसे विघटनकारी विचारों का शासकीय मंच से प्रचार-प्रसार पूर्णतः अस्वीकार्य है।
महासंघ ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच कराने, महाविद्यालय प्रशासन की भूमिका एवं संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं की पृष्ठभूमि की गहन समीक्षा करने तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है।