नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने 3,600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाले में कथित तौर पर शामिल बिचौलिए ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को मंगलवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस तथ्य पर विचार करते हुए उसे जमानत दी कि वह पिछले छह वर्षों से हिरासत में है और मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच अब भी जारी है।
पीठ ने सीबीआई की ओर से उसकी जमानत के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि जिस गति से मामला आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि अगले 25 वर्षों में भी मुकदमा पूरा नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जेम्स को निचली अदालत द्वारा तय नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा किया जाएगा।
अदालत ने जेम्स को राहत देते हुए विशेष रूप से इस तथ्य पर गौर किया कि याचिकाकर्ता दिसंबर 2018 में प्रत्यर्पित होने के बाद से हिरासत में है। यानी अब तक छह साल से अधिक समय हो चुका है।
अदालत ने सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा पेश इस दलील पर भी ध्यान दिया कि तीन आरोप-पत्र और दो पूरक आरोप-पत्र दाखिल करने के बावजूद, जांच अब भी जारी है। पीठ ने कहा कि यह जवाबी हलफनामे से भी स्पष्ट है। इसके अलावा इस तथ्य से भी साफ है कि मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
हम याचिकाकर्ता को उन शर्तों और नियमों पर जमानत देने के लिए इच्छुक हैं, जो 12 मार्च 2013 को दर्ज की गई प्राथमिकी के संबंध में निचली अदालत द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं। जेम्स ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 25 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
सीबीआई ने दावा किया था कि आरोपी जेम्स इस सौदे में कथित बिचौलिया है। ब्रिटिश नागरिक मिशेल को पांच दिसंबर 2018 को यूएई से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। यहां पहुंचने पर उसे सीबीआई ने गिरफ्तार किया और कुछ दिनों बाद वित्तीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने भी उसे गिरफ्तार कर लिया। तब से वह तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में बंद था।