महर्षि दयानंद सरस्वती का 200वां जयंती वर्ष
अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जयंती वर्ष के अवसर पर डॉ हेडगेवार स्मृति सेवा प्रन्यास एवं श्री माधव स्मृति सेवा प्रन्यास के संयुक्त तत्ववाधान में रविवार को सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल के ऑडिटोरियम में प्रबुद्धजन संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परोपकारिणी सभा आर्य समाज से आए आचार्य सत्यव्रत मुनि ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वामी जी समाज जागरण, मानव जागरण के पुरोधा थे। उनके जीवन के गुण, सत्य को जानने की तीव्र इच्छा, ज्ञान प्राप्ति की उत्कंठता समाज सुधार की दिशा में उनके द्वारा किए गए प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता हनुमानसिंह राठौड़ ने बताया कि स्वामीजी बाल्यकाल में उन्हें मन में किस प्रकार सत्य को जानने की इच्छा हुई। हिमालय में योग साधना के जरिए शिवत्व की खोज से किस प्रकार वे मूलशंकर से दयानंद सरस्वती बने।
वे अपने जीवन में वैभव एवं प्रलोभन को तिलांजलि देकर सत्य की खोज में निकल पड़े। उसी का प्रणाम है कि जब देश गुलामी की दास्तान में जी रहा था। उस दौरान उन्होंने वेदों की पुनः प्रतिष्ठा स्थापित की तथा समाज में फैली कुरीतियों एवं अंधविश्वास को दूर करने का अथक प्रयास किया।
महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित डीएवी संस्थान के योगदान कोई भूल नहीं सकता। यह सब शिक्षा के क्षेत्र में मिशनरी स्कूलों के दबदबे को कम करने व देश की युवा पीढ़ी को ईसाईकरण से बचाने में मील का पत्थर साबित हुए। वेदों में इतिहास ढूंढना हमारी भूल है। राष्ट्र की उत्पति तप से होती है।
वर्ष 1875 से 1918 के दौरान देश में 1664 डीएवी स्कूलों की जिनमें 55 स्कूल अस्पर्श समाज के बच्चों के लिए थे। जिससे उनके बच्चों को भी शिक्षा से वंचित न किया जा सके। ऋषि परंपरा का पराभव होने से समाज ह्वास हुआ। स्वामी दयानंद सरस्वती के वेदों के प्रति जो भ्रांतियां पैदा हुई। उससे बाहर निकलने के लिए प्रयत्न किया। कृणवंतो विश्वमार्यम का अर्थ है वेदों के उच्चारण से जीवन जीने वाला श्रेष्ठपुरुष।
राठौड़ ने कहा कि उनकी 200वें जयंती वर्ष पर हमारा कर्तव्य है कि हम आज उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक सुधार एवं जनजागरण के कार्यों को आगे बढ़ाएं।
इससे पहले प्रन्यास के अध्यक्ष जगदीश राणा ने मुख्यवक्ता एवं शिक्षाविद राठौड़ का स्वागत किया। महानगर संघचालक खाजूलाल चौहान ने कार्यक्रम में पधारे सभी महानुभाव का धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्ट्रगीत वंदे मातरम के गायन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।