भगवान भोलेनाथ की बारात में उमड़े श्रद्धालु

अजमेर। नला बाजार स्थित रामद्वारा में आयोजित चातुर्मास सत्संग के दौरान रामस्नेही संप्रदाय मेड़ता देवल के महंत रामकिशोर महाराज ने कहा कि जन कल्याण के लिए संसार में भगवान शंकर को भी विवाह करना पड़ा। तारकसूर के वध के लिए भगवान शंकर के पुत्र का जन्म होना जरूरी था। नारद जी ने देवताओं की विनती पर हिमालय राजा के पास जाकर भोले शंकर से पार्वती के विवाह की बात की और सभी देवताओं को आमंत्रित किया।

इस दौरान भगवान शिव की बारात निकाली गई और उसके बाद पार्वती के विवाह की झांकी सजाई गई। महाराज ने भगवान शंकर की विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि हल्दी काम का प्रतीक है और भभूत त्याग का प्रतीक है। बेल धर्म का प्रतीक है त्रिशूल काम क्रोध लोभ मोह का प्रतीक है। हल्दी काम का प्रतीक है इसलिए भगवान शंकर ने अपने शरीर पर हल्दी न लगाकर भभूत का लेप किया।

महाराज ने कहा कि घोड़ा काम का प्रतीक है और बैल त्याग का प्रतीक। गृहस्थ जीवन केवल भोग और संतान उत्पत्ति के लिए नहीं है। त्याग वैराग्य भी ग्रहस्थ जीवन में जरूरी है। धन का सदुपयोग और भगवान की सेवा करते हुए सांसारिक जीवन को जीकर भक्ति के जरिए मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। कथा के दौरान उत्तम राम शास्त्री में एक से एक भजनों की प्रस्तुति देकर माहौल भक्ति कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य जजमान राजेंद्र निर्माण ने भगवान शंकर और पार्वती की पूजा अर्चना की। उसके पश्चात भगवान भोलेनाथ की आरती कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।