पाली। फाल्गुन मास की पुर्णिमा होलिका दहन के दिन आर्य समाज पाली में वासंती नवसस्येष्टि यज्ञ कर नवीन धान्य गेंहू की बालीयों और चणा के होलको को यज्ञ सामग्री में मिलाकर आहुतियां के माध्यम से देवो को नवीन अन्न का भोग लगाकर देशवासियों के स्वास्थ्य लाभ खुशहाली की मंगलकामनाएं की गई।
समाज मंत्री विजयराज आर्य ने वासंती नवसस्येष्टि पर उद्बोधन देते हुए कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है शारदीय नवसस्येष्टि और वासंती नवसस्येष्टि दोनों पर्व ऋतु परिवर्तन होने और नई फसल घर में आने की खुशी में सनातन काल से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले इस दिन बड़ा यज्ञ करते थे और उसमें कृषक जन नवीन अन्न की आहुतियां देकर फिर स्वयं के लिए अन्न उपयोग में लेते थे। अब यज्ञ का रूप कंडे और लकड़ियों ने ले लिया है और नवीन अन्न की आहुतियां की जगह होली की अग्नि में होला सेंकना भर रह गया है।
इस अवसर पर आर्य समाज मंत्री विजयराज आर्य, वरिष्ठ आर्य समाजी पूनमचंद वैष्णव, प्रचार मंत्री घेवरचन्द आर्य, उत्साही आर्य वीर रीकू पंवार सहित कई जने मौजूद रहे। यज्ञ समाप्ति के बाद आर्य समाज पाली के पूर्व प्रधान नरदेव आर्य और उनकी धर्मपत्नी परमेश्वरी देवी तथा वरिष्ठ आर्य समाजी रामकिशोर लखेरा के निधन होने पर शोक प्रस्ताव पारित कर दो मिनट का मौन रखकर तीनों दिवंगत पदाधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।