जयपुर। राजस्थान सरकार ने मानव अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी जारी करने के मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह को निलंबित कर दिया है।
चिकित्सा विभाग ने सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए। इससे पूर्व सोमवार को ही इस संबंध में विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अधिकारियों को रिश्वत लेकर अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी देने के प्रकरण में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने उच्च स्तरीय कमेटी से प्रकरण की जांच कराने तथा 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी निर्देशित किया।
सिंह ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से मानव अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं। इस कार्य में किसी भी तरह की अनियमितता न हो, इसलिए विभाग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एसीबी को इसकी जांच करने के लिए आग्रह किया था।
उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है और मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत ईएचसीसी अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट का लाइसेंस तुरंत प्रभाव से स्थगित करने की कार्रवाई भी की जा रही है। शुभ्रा सिंह ने कहा कि इस प्रकरण की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा रहा है।
बैठक में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक राजीव शर्मा ने बताया कि एसीबी ने इस संबंध में तुरंत कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके कार्यालय की तलाशी लेकर महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं। साथ ही उनके कार्यालय से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए गए हैं।
उल्लेखनीय है एसीबी ने रविवार देर रात इस मामले में 70 हजार रुपए की रिश्वत लेनदेन करते गौरव सिंह और ईएचसीसी अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण समन्वयक अनिल जोशी को रंगे हाथों पकड़ लिया। इनसे तीन फ़र्जी एनओसी भी बरामद की गई। इस मामले में संलिप्तता के आधार पर फोर्टिस अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण समन्वयक विनोद को भी गिरफ्तार किया गया।