जयपुर। विश्व हिंदू परिषद् के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि बजरंग दल की दो दिवसीय अखिल भारतीय बैठक 21 तथा 22 सितंबर को जयपुर में आयोजित हो रही है, जिसमें सभी प्रांतों के 100 से अधिक प्रमुख कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। बैठक में हिंदू समाज के विरुद्ध षड्यंत्रपूर्वक धर्मांतरण तथा मुस्लिम समाज के एक वर्ग द्वारा लव जिहाद के आक्रमण को रोकने के लिए उपाय योजना का संकल्प लिया गया।
परांडे ने बताया कि बजरंग दल हिंदू समाज की सेवा, संस्कार तथा सुरक्षा के लिए समर्पित युवा संगठन है। युवाओं में नशे के विरुद्ध जागरूकता के उद्देश्य से 23 से 30 नवंबर तक बजरंग दल द्वारा प्रखंड स्तर पर रन फॉर हेल्थ मैराथन का आयोजन होगा। नशामुक्ति के विषय पर 10 दिनों में 7 हजार से अधिक स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों में लाखों युवा सहभागी होंगे। साथ ही हिंदू समाज में भाव जागरण के उद्देश्य से धार्मिक चिह्न त्रिशूल दीक्षा के लिए देश भर में व्यापक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशु चर्बी वाले घी के प्रयोग पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि यह हिंदू समाज की आस्था का घोर अपमान है। मंदिर ट्रस्टों पर सरकारी नियंत्रण तथा अन्य आस्थाओं के व्यक्तियों को मंदिर प्रबंधन में जगह देने से ऐसी निंदनीय घटना हुई है। देश में चर्च या मस्जिदें नहीं, केवल हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण के अधीन हैं। विश्व हिंदू परिषद् की मांग है कि हिंदू मंदिरों पर हिंदू समाज का नियंत्रण होना चाहिए। हमारा प्रयास है कि मंदिरों का संचालन समाज के हर वर्ग का सहभाग हो तथा मंदिर धर्म व समाजसेवा का केंद्र बने।
परांडे ने तुष्टीकरण रोकने को आवश्यक बताते हुए कहा कि आज देश के 10 राज्यों में मतांतरण विरुद्ध कानून है तथा विश्व हिंदू परिषद् के अनुसार इस विषय पर केंद्रीय कानून होना चाहिए। वक्फ संशोधन पर प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वक्फ की तुलना मंदिरों से असंभव है। विश्व हिंदू परिषद् राष्ट्रहित में लाए जा रहे ऐसे सभी संशोधनों का समर्थन करती है।
गत दिनों गणपति उत्सव समेत अन्य हिंदू शोभायात्राओं पर पथराव तथा हिंदुओं के विरुद्ध लक्षित हिंसा की घटनाओं पर विरोध जताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसक जिहादी मानसिकता के विरुद्ध कठोर कार्रवाई अनिवार्य है तथा शोभायात्रा के रास्तों पर ड्रोन से निगरानी की जानी चाहिए।
परांडे ने कहा कि आज रेलवे को निशाना बनाकर हजारों निर्दोषों की जान लेने के प्रयास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। ऐसे हमलों में जानबूझकर नाबालिगों का प्रयोग किया जा रहा है। अतः नाबालिगों द्वारा आतंकवाद जैसे जघन्य अपराधों पर बालिग के रूप में कार्रवाई करनी चाहिए।