ढाका। बांग्लादेश में कोटा (आरक्षण) को लेकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच सोमवार को सेना के तख्तापलट के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा।
देश में जारी हिंसक प्रदर्शन आज सुबह हसीना के आधिकारिक आवास गणभवन तक पहुंच गया, जिससे उनकी जान को खतरा पैदा हो गया। वह प्रदर्शनकारियों के गणभवन पहुंचने से पहले ही देश छोड़कर रवाना हो गईं। इस बात के संकेत मिले हैं कि उन्होंने भारत में शरण ली है।
रिपोर्टों के अनुसार सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमां ने सभी दलों की भागीदारी से अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है। जानकारी मिली है कि हसीना (76) ने सेना प्रमुख को अपना इस्तीफा सौंपा है।
ढाका ट्रिब्यून में जनरल जमां के हवाले से कहा गया है कि हमने सभी राजनीतिक दलों के साथ सार्थक चर्चा के बाद देश में अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया है। हम स्थिति को सुलझाने के लिए अब राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से बात करेंगे।
सेना प्रमुख ने विरोध के नाम पर सभी तरह की हिंसा को रोकने का आह्वान किया और कहा कि नयी सरकार भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई सभी मौतों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हसीना को सेना प्रमुख की ओर से 45 मिनट का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद जबरन निर्वासित कर दिया गया। उनके देश से रवाना होने की खबर मिलते ही हजारों प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को उनके सरकारी आवास पर धावा बोल दिया।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार हसीना आज अपराह्न अपने आवास से सैन्य हेलिकॉप्टर से किसी अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गईं। रिपोर्ट के अनुसार वह अपनी छोटी बहन शेख रेहाना के साथ सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हुई हैं।
सोमॉय न्यूज टीवी ने दावा किया कि सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं हसीना ने सेना प्रमुख को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद देश छोड़ दिया। उन्होंने अपनी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग (एएल) के संसदीय चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने के बाद इस वर्ष जनवरी में देश की प्रधानमंत्री के रूप में लगातार चौथी बार कार्यकाल संभाला था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश में गत जून से जारी अशांति में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे यह बंगलादेश के इतिहास में नागरिक अशांति का सबसे घातक दौर बन गया है। एक दिन पहले यानी रविवार को देश भर में हुई हिंसक झड़पों में करीब 100 लोग मारे गए।
देश में कोटा विरोधी प्रदर्शन जून में शुरू हुए, जब उच्च न्यायालय ने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल कर दिया। न्यायालय ने 2018 के उस फैसले को पलट दिया गया था, जिसमें ऐसे कोटा समाप्त कर दिए गए थे।
विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर इंटरनेट सेवा बंद
बांग्लादेश में सरकार के खिलाफ जारी आंदोलन के मद्देनजर तीन सप्ताह में दूसरी बार इंटरनेट सेवा अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई है। सरकार के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच सोमवार को करीब 90 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार ढाका और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए सविनय अवज्ञा अभियान शुरू किया। ढाका के प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं। शहर भर में पुलिस के साथ-साथ सेना को तैनात किया गया है।
सरकार ने तीन दिन की अवकाश घोषित कर दिया है, इस दौरान व्यवसाय क्षेत्र और अदालतों की कार्रवाई भी बंद रखी गई है। विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या अब 280 से अधिक हो गई है, जिसमें कई लोगों की मौतों के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम सैनानियों को नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के उग्र रूप लेने के बाद रविवार को राजधानी ढाका में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें पुलिस कर्मियों सहित करीब 100 लोगों की मृत्यु हो गई। ढाका की सड़कों पर आंदोलनकारियों का सैलाब उमड़ा हुआ था।
पुलिस रिपोर्ट में बताया कि रविवार को सिराजगंज में थाने पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया जिसमें 13 पुलिस अधिकारी मारे गए। बाद में अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया। आज मोबाइल ऑपरेटरों को 4जी सेवाओं को बंद करने का आदेश मिला और इंटरनेट की आजादी पर नज़र रखने वाली निगरानी संस्था नेटब्लॉक्स ने लगभग पूरी तरह से राष्ट्रीय इंटरनेट बंद होने की सूचना दी।
इससे पहले, बंगलादेशी सरकार ने पहले 18 जुलाई को विरोध प्रदर्शनों को दबाने के प्रयास में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया था, जिसे एक सप्ताह बाद आंशिक रूप से बहाल किया गया था। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में कोटा (आरक्षण) को लेकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच आज सेना के तख्तापलट के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा।