ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण में सुधार को लेकर शुरू हुआ भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन, जो बाद में चलकर एक बड़े पैमाने पर विद्रोह में बदल गया और जिसके चलते अंततः शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका गया, अब एक राजनीतिक पार्टी बनाने की तैयारी कर रहा है।
मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई।
आंदोलन के प्रतिनिधियों ने 08-18 सितंबर तक 44 जिलों का दौरा कर विचार-विनिमय कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस मंच के माध्यम से समन्वयकों ने विविध व्यक्तियों को आकर्षित किया और उनके साथ राष्ट्रीय सुधार के लिए उनकी आकांक्षाओं पर चर्चा की। ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि आंदोलन के समन्वयकों ने अपने औपचारिक राजनीतिक प्रवेश के संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
अंदरूनी सूत्रों का हालांकि,मानना है कि आंदोलन का उद्देश्य विद्रोह की भावना को बनाए रखना और अवामी लीग के पुनरुत्थान को रोकना है। आंदोलनकारी कथित तौर पर 101 सदस्यों वाली एक राष्ट्रीय समिति स्थापित करने की योजना बना रहे है।
समिति सरकारी काम में तेजी लाने के लिए एक दबाव समूह के रूप में काम करेगी, क्योंकि हसीना सरकार के पतन के बाद से आंदोलन के समन्वयकों के नाम पर कई घटनाएं हुई हैं। समन्वयकों के अनुसार इन विसंगतियों को दूर करने के लिए दृष्टिकोण विनिमय कार्यक्रम आयोजित किए गए है।जिला और उपजिला समितियां स्थिरता बहाल होने तक स्थानीय प्रशासनिक निकायों के साथ समन्वय करेंगी।
ढाका विश्वविद्यालय के शिक्षक-छात्र केंद्र (टीएससी) में जिला-स्तरीय बैठकों के बाद 20 सितंबर को एक केंद्रीय दृश्य-विनिमय सभा आयोजित की गई, जहां विभिन्न क्षेत्रों और शैक्षणिक संस्थानों के समन्वयकों और प्रतिनिधियों ने आंदोलन के संगठन को मजबूत करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की।
एक आंदोलन समन्वयक ने कहा कि बंगलादेश छात्र लीग के किसी भी सदस्य को इन समितियों में अनुमति नहीं दी जाएगी और पहले छात्र दल या शिबिर से जुड़े किसी भी सदस्य को उन संगठनों को छोड़ने की आवश्यकता होगी। एक अन्य आंदोलन समन्वयक अब्दुल हन्नान मसूद ने कहा कि एक केंद्रीय समिति के गठन पर विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिलहट भर में विचार-विनिमय कार्यक्रम आयोजित करने वाले हसीब अल इस्लाम ने कहा कि इन जिलों में प्रतिभागी आंदोलन को राजनीतिक मंच में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।