अजमेर। राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में परम्परागत तरीके से आज बसंत पेश किया गया। गरीब नवाज को पीले बसंती फूलों से बेहद लगाव था, यही कारण है कि अमीर खुसरों के सूफियाना कलाम और शानोशौकत के साथ सरसों सहित बसंती रंग के फूलों का गुलदस्ता पेश कर बसंतोत्सव मनाया गया।
अजमेर दरगाह में बसंत पंचमी के मौके पर दरगाह दीवान सैय्यद जैनुअल आबेदीन के संरक्षण वाली आल इण्डिया सूफी सज्जादानशीन कौंसिल (एआईएसएससी) के चैयरमैन सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि यह भारतीय संस्कृति की खूबसूरती है कि हम हर त्योहार मिल-जुलकर मनाते हैं, जिसकी मिसाल बसंत पंचमी है।
देश में नफरत फैलाने वालों को समझना होगा कि पहले हम सब हिन्दुस्तानी हैं, बाद में हिन्दू और मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें दुष्प्रचार कर रही हैं कि भारत में मुसलमान खुश नहीं हैं, उन पर जुल्म हो रहा है, लेकिन वास्तविकता बिलकुल अलग है। भारत का मुसलमान पूरी आजादी के साथ देश में रह रहा है। उन्हें अपने धर्म के साथ जीने की आजादी है।
उन्होंने सभी अनुयायियों का आह्वान किया कि देश में अमन, सदभाव कायम रहे, ये सभी की जिम्मेदारी है। वे लोग जलसों और कार्यक्रम में भाषा का संयम रखे। दरगाह शरीफ के निजामगेट से बसंती फूलों का जुलूस आस्ताने शरीफ पहुंचा, जहां बसंत पेश किया गया। इस मौके पर अनेक खादिमों एवं अकीदतमंदों ने दुआ कर मुल्क में अमन, चैन, शान्ति, खुशहाली तथा भाईचारे की दुआ की।