गरीबों में योजनाओं के प्रति निराशा पनपाएंगी ग्लोबल हॉस्पीटल की ये कार्यप्रणाली!

आबूरोड तलहटी स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल।
आबूरोड तलहटी स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल।

सबगुरु न्यूज-आबूरोड। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनावों में भाजपा को राजस्थान में मुंह की खानी पडी। इसके पीछे की एक वजह गवर्नेंस के साथ साथ अशोक गहलोत की सरकार में राजस्थान के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मिली सुविधाओं को बंद या शिथिल करना भी रहा।

अपने और अपने परिवार के उपचार में लुट जाने वाले राजस्थान के लोगों को अशोक गहलोत सरकार की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से फायदा मिला था। सरकार बदलते ही ये योजना भी प्रभावित हुई। इसमें काफी व्यवधान आने शुरू हो गए। इसका नाम बदलकर मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना कर दिया गया। नाम बदलने के बाद भी सिरोही जिले में गरीबों को इसका लाभ मिल नहीं पा रहा है। इस योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों में सूची बद्ध उपचार और जांच के लिए भी पैसा लिया जा रहा है।
जिला कलेक्टर को दिए एक ज्ञापन में ऐसा ही मामला आबूरोड तलहटी पर स्थित राधामोहन महरो़त्रा ग्लोबल हॉस्पीटल को लेकर पहुंचा है। सुगम पोर्टल और जिला कलक्टर को की गई शिकायत में बताया गया है कि ग्लोबल हॉस्पीटल ने मां योजना में लाभांवित होने के बाद भी उनसे डायग्नोस्टिस का पैसा लिया गया। पीड़ित से सूचीबद्ध जांचों को मां योजना के तहत पुनर्भरण नहीं करके उसका शुल्क नकद लिया गया है।

जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे पीड़िता के पिता।
जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे पीड़िता के पिता।

-सीएमएचओं को दिया टका सा जवाब
जिला कलक्टर को दो जनों ने ज्ञापन दिया। इनमें दो अलग-अलग मामले है।दोनों ही मामलों में ये आरोप लगाया गया कि आबूरोड के ग्लोबल हॉस्पीटल ने मां योजना के लाभांवित होने के बाद भी उनसे जांचों का नकद शुल्क लिया गया। लेकिन, फिलहाल इसमें से एक मामले में ग्लोबल हॉस्पिटल को जांच के लिए लिये गए शुल्क को वापस करने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में शिकायत कर्ता किवरली निवासी दिनेश कुमार ने अपनी बेटी स्नेहा माली के तलहटी के ग्लोबल हॉस्पीटल में उपचार करवाया था। वो मां योजना के तहत पंजीकृत थी तो उसके उपचार इसी के तहत करने का अनुरोध किया था।
चिकित्सालय ने उनके उपचार के दौरान की गई जांचों  के लिए नगद राशि जमा करवाई जबकि इस योजना के लाभार्थी के उपचार के पैसे का पुर्नभरण स्वास्थ्य बीमा कंपनी के माध्यम से करना था। डिस्चार्ज होने के बाद दिनेश कुमार ने संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद इसकी जांच सीएमएचओ सिरोही के पास पहुंची। सीएमएचओ ने बीसीएमओ आबूरोड कार्यालय के माध्यम से इसकी क्वेरी करवाई तो इस मामले में ग्लोबल चिकित्सालय ने अपना स्पष्टीकरण दिया, जिसमें तकनीकी पहलू बताते हुए पैसा नहीं लौटाने की बात कही।
सीएमएचओ कार्यालय सिरोही ने ग्लोबल हॉस्पीटल के जवाब को संतुष्टिपूर्ण नहीं मानते हुए 14 जून को पत्र जारी करके चिकित्सालय प्रशासन को दिनेश कुमार से डायग्नोसिस के लिए गए आठ हजार तीन सौ रुपये लौटाने के निर्देश दिए गए। इस पत्र के बाद दिनेशकुमार जब ये राशि लेने पहुंचा तो उसे राशि लौटाई नहीं गई। इससे दिनेशकुमार फिर से जिला कलक्टर के समक्ष प्रस्तुत हुआ और पूरे प्रकरण की शिकायत की। सीएमएचओ ने फिर से रिमाइंडर जारी करके ये राशि दिनेश कुमार को लौटाने के निर्देश दिए।

आबूरोड के ग्लोबल हॉस्पिटल में की गई सिटी स्कैन रिपोर्ट।
आबूरोड के ग्लोबल हॉस्पिटल में की गई सिटी स्कैन रिपोर्ट।

-ग्लोबल से ये आया था जवाब
बीसीएमओ द्वारा करवाई गई जांच के दौरान ग्लोबल हॉस्पीटल ने जो पक्ष रखा उससे सीएमएचओ ने असंतंष्टि जताई। उन्होंने बताया कि जिन जांचों के दस्तावेज ग्लोबल हॉस्पीटल ने साइट पर अपलोड किए है, वो सारी जांचें मां योजना के तहत कवर होती है। ऐसे में इनके पैसे नहीं लिये जाने चाहिए।

ग्लोबल हॉस्पीटल ने जो जवाब दिया था उसमें बताया था कि स्नेहा को पेट दर्द की शिकायत पर चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया था। क्लिनिकली ये अपेंडिक्स का दर्द लग रहा था लेकिन, सोनोग्राफी में ये डायग्नोस नहीं हुआ। इस पर स्नेहा के पिता ने दबाव देकर सीटी स्केन किया गया। सीटी स्केन के लिए चिकित्सक ने प्रिस्क्राइब नहीं किया था इसलिए इसका पैसा वापस लौटाया नहीं जा सकता।
-ग्लोबल के जवाब के दोहरे मायने
ग्लोबल हॉस्पीटल ने जो जवाब 27 मई को बीसीएमओ को पेश किया उसके दो मायने सामने आ रहे हैं इसलिए शायद सीएमएचओ भी इससे संतुष्ट नहीं हुए। एक तो ये कि यदि क्लीनिकली अपेंडिक्स डायग्नोस हुआ और सोनोग्राफी में नहीं दिखा तो चिकित्सक को उच्च स्तर का डायग्नोसिस करने को रिकमंड किया जाना था। जबकि वो जांच ग्लोबल हॉस्पीटल में ही मौजूद थी।

दूसरा ये कि स्नेहा की सीटी स्केन की रिपोर्ट ये बता रही है कि सीटी स्केन में अपेंडिक्स का 6.5 सेंटीमीटर बढी होना डायग्नोस हो गया। ऐसे में प्रथम दृश्टया ये नजर आ रहा है कि गरीबों को डायग्नोसिस के लिए बीमा योजना के तहत लाभ देने की बजाय कैश जमा करने या टालने का चलन है। इससे गरीबों को योजना के उद्देश्य का लाभ से वंचित होना पड रहा है। जबकि ग्लोबल ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से जुड़ी चिकित्सा इकाई है इन्हें तो और ज्यादा गरीबों के प्रति संवेदनशील होकर इस तरह के लाभों को गरीब बीमारों तक पहुंचाना चाहिए।