भदोही। यूपी के भदोही जिले में स्थित बेरासनाथ धाम श्रावण मास में शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। गुप्तकाशी के नाम से प्रसिद्ध इस पवित्र स्थल पर कांवरियों का सैलाब उमड़ रहा है।
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित गुप्तकाशी का प्राचीन शिव मंदिर तमाम पौराणिक महामात्य व आध्यात्मिक लिहाज से ओतप्रोत है। मान्यता है कि गुप्तकाशी स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर का शिवलिंग सेमराध नाथ शिवलिंग की तरह कुएं में स्थित है।
मान्यता है कि एक बार वेदव्यास जी इसी पवित्र स्थल से गुजर रहे थे। रास्ते से गुजरते समय उन्हें यहां किसी दैवीय शक्ति का एहसास हुआ। फिर व्यास जी यही रुक कर कुएं में स्थित शिवलिंग की पूजा करने में लीन हो गए। वेदव्यास ने इस पवित्र स्थल पर लंबे समय तक ध्यान साधना में लीन रहे। यही कारण है कि इस जगह का नाम व्यासपुर पड़ गया जो कालांतर में बेरासपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार स्थानीय लोगों ने कुएं में स्थित शिवलिंग को बाहर निकालने की इच्छा जताई लेकिन ऐसा कुछ संभव नहीं हो सका, फिर श्रद्धालुओं ने कुएं को पाटकर पूजा पाठ करना शुरू कर दिया। शिवभक्त बाला प्रसाद पाल ने बेरासनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। खुद के खर्च व स्थानीय लोगों के भारी भरकम सहयोग के वर्ष 1938 में यहां भव्य शिव मंदिर बनकर तैयार हो गया।
बाबा बेरासनाथ धाम में वैसे तो पूरे वर्ष भर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन पवित्र सावन मास के आगाज के साथ कांवरियों का जत्था पहुंचना शुरू हो जाता है। तीर्थराज प्रयाग से गंगा जल भरकर काशी बाबा विश्वनाथ धाम जाते समय रास्ते में गुप्तकाशी स्थित बेरासनाथ धाम रूककर कावरिये जल अर्पण कर आगे बढ़ते हैं। मान्यता है बेरासनाथ धाम स्थित शिवलिंग के जल अर्पण व पूजा पाठ से भक्तों की इच्छित कामनाएं पूरी होती हैं।