भीमा कोरेगांव हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को दी नियमित जमानत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 72 साल से अधिक उम्र के मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा से कथित तौर पर माओवादियों से संबंध होने के आरोप के एक मामले में मंगलवार को नियमित जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने आरोपी नवलखा की उनके घर में नजरबंदी के अपने पिछले आदेश में संशोधन किया और इसमें हुए खर्च के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को 20 लाख रुपए के भुगतान की शर्त पर जमानत देने की उन्हें अनुमति दी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने नवलखा से कहा था कि वह अपनी नजरबंदी के दौरान उन्हें दी गई सुरक्षा के लिए एनआईए को 1.64 करोड़ रुपए का भुगतान करें। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि नवलखा चार साल से जेल में बंद है। उनकी उम्र 72 साल से अधिक है। फिलहाल उनके खिलाफ आरोप तय नहीं हुए हैं। मुकदमे में कोई फैसला आने में कई साल लगेंगे, क्योंकि 370 से अधिक गवाहों से पूछताछ की जानी है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने नवलखा की रिहाई का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि वह (नवलखा) राष्ट्रविरोधी है। वह कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग कर रहे थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दी गई जमानत पर रोक को आगे नहीं बढ़ाएगी।

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ (अब सेवानिवृत्त) की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने 10 नवंबर 2022 को बुजुर्ग नवलखा के बिगड़ते स्वास्थ्य का संज्ञान लेते हुए उन्हें अपने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2023 में उन्हें जमानत दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करने के एनआईए के अनुरोध पर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी गई थी।