पटना। वंशवाद और परिवारवाद से परे की राजनीति का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सम्राट चौधरी को पार्टी के साथ महज सात साल के छोटे सफर में ही बिहार का उप मुख्यमंत्री बनाकर उनकी पगड़ी का मान बढ़ा दिया है।
भाजपा में वर्ष 2017 में शामिल हुए सम्राट चौधरी ने वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ राष्ट्रीय जनता दल नीत महागठबंधन में शामिल हो कर सरकार बनाने के बाद प्रण लिया था कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतारने के बाद ही वह अपनी पगड़ी खोलेंगे।
बिहार में सियासी हालात ऐसे बने कि नीतीश कुमार को कुर्सी छोड़नी पड़ी और फिर एक नए समझौते के साथ उनकी (कुमार) अगुवाई में सरकार बनी तब भाजपा ने सम्राट चौधरी की आन-बान को कम नहीं होने दिया और उन्हें उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाकर उनकी पगड़ी का मान और बढ़ा दिया।
चौधरी के भाजपा में आने के एक साल बाद वर्ष 2018 में ही उन्हें बिहार भाजपा का उपाध्यक्ष बना दिया गया। इतना ही नहीं वर्ष 2020 में प्रदेश की राजग सरकार में उन्हें पंचायती राज मंत्री की जिम्मेवारी सौंपी गई। इसके बाद 27 मार्च 2023 को वह बिहार भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए। इससे पहले वर्ष 1999 में वह तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार में पहली बार कृषि मंत्री बनाए गए थे लेकिन उस समय उनकी उम्र को लेकर विवाद हुआ था। वह वर्ष 2000 और 2010 में खगड़िया के परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए।
मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के लखनपुर गांव में 16 नवंबर 1968 को जन्मे सम्राट चौधरी को राजनीति का ज्ञान उनके पिता शकुनी चौधरी से मिला है। शकुनी चौधरी खगड़िया से सांसद रहे थे। वह नीतीश कुमार की समता पार्टी के संस्थापक सदस्य रह चुके हैं।