भाजपा ने की गलती, माउण्ट आबू में भडक गया एसटी-एससी समुदाय

माउंट आबू के भाजपा के ज्ञापन के खिलाफ उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पर आक्रोश जताने को एकत्रित हुए अनुसूचित जाति जनजाति के लोग।
माउंट आबू के भाजपा के ज्ञापन के खिलाफ उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पर आक्रोश जताने को एकत्रित हुए अनुसूचित जाति जनजाति के लोग।

सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी जिस आग से 2024 के लोकसभा चुनाव में झुलसे हैं उसी आग को माउण्ट आबू भाजपा ने भडका दिया।

यहां पर भाजपा के नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य और नगर मंडल अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल के नेतृत्व में स्वायत्त शासन मंत्री को दिया ज्ञापन एक बार फिर भाजपा के लिए गलफांस बन गया हैं। संविधान को बदलकर अनुसूचित जाति जनजाति को आरक्षण के हक से वंचित करने के जिस मुद्दे पर भाजपा को देश और राजस्थान में लोकसभा चुनावों में मुंह की खानी पडी थी, वैसे ही मुद्दे पर माउण्ट आबू भाजपा घिर गई है।
इसकी वजह बना भाजपा माउण्ट आबू नगर मंडल के 15 सूत्रीय ज्ञापन का 7 वा बिंदु जो ये संदेश दे रहा है कि भाजपा माउण्ट आबू में अनुसूचित जाति-जनजाति का हक मार रही है। इसे ही लेकर मंगलवार को माउण्ट आबू में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों ने प्रदर्शन किया। अपने हकों को लेकर इस समुदाय के लोग इतने सजग थे कि इसमें भाजपा के द्वारा पूर्व में पालिकाध्यक्ष बनाए गए सुरेश थिंगर और वर्तमान के कांग्रेस के पालिकाध्यक्ष जीतू राणा भी शामिल थे।
– क्या था ज्ञापन में
माउण्ट आबू नगर मंडल के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल के लेटरपैड पर एक ज्ञापन दिया गया। ये ज्ञापन मुख्यमंत्री और स्वायत्तशासन मंत्री के नाम था। इस पंद्रह सूत्री ज्ञापन में सातवे बिदुं पर माउण्ट आबू में नगर पालिका अध्यक्ष के पद के 30 वर्षों से आरक्षित होने और इसे सामान्य का किया जाने की मांग थी। इसी मांग को लेकर माउण्ट आबू के अनुसूचित जाति और जनजाति समुंदाय के लोग भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां पर मुख्यमंत्री के नाम उन्होंने ज्ञापन सौंपा। इसमें भाजपा के ज्ञापन का जिक्र करते हुए माउण्ट आबू नगर पालिका की पालिकाध्यक्ष का पद आरक्षित रखने की मांग करते हुए आरक्षित वर्ग के हक सुरक्षित करने की आवश्यकता जताई है।

-टीएसपी हो चुकी है माउण्ट आबू
माउण्ट आबू नगर पालिका क्षेत्र अब टीएसपी एरिया में शामिल हो चुका है। प्रावधानानुसार आदिवासी क्षेत्रों के टीएसपी ग्रामीण इलाकों से घिरे नगरीय क्षेत्र भी टीएसपी में शामिल होते हैं। नौकरियों में टीएसपी क्षेत्र को मिलने वाले लाभों को देखते हुए लम्बे अर्से से आबूरोड नगर पालिका क्षेत्र को टीएसपी क्षेत्र में शामिल करने की मांग चल रही थी। आबूरोड के साथ माउण्ट आबू शहरी क्षेत्र भी टीएसपी क्षेत्र में शामिल हो गया। नगर निकाय संविधान के नवे भाग का हिस्सा है।

इसमें नगर निकाय के चेयरपर्सन के पद का आरक्षण तय करने का अधिकार राज्य की लेजिस्लेचर को है। लेकिन, माउण्ट आबू अब टीएसपी क्षेत्र का हिस्सा बन चुका हैं। अगर माउण्ट आबू में टीएसपी क्षेत्र के नियम लागू होते हैं तो फिर यहां पर भी पालिकाध्यक्ष का पद पिण्डवाड्ा-आबू विधानसभा और आबूरोड पंचायत समिति की तरह स्थायी भी हो सकता है। यहीं वजह है कि यहां के अनुसूचित जाति समुदाय के लिए ये पद सामाजिक प्रतिष्ठा का पद बना हुआ है और इसलिए ही उनमें आक्रोश फूटा।
-आ बैल मुझे मार
माउण्ट आबू का पालिकाध्यक्ष का पद लम्बे अर्से से सामान्य जाति के लिए नहीं आया है। इस सबके बाद भी कांग्रेस ने कभी इस तरह से लिखित में ऐसी मांग नहीं की है। लेकिन, भाजपा के माउण्ट आबू के नेताओं ने इस तरह की लिखित मांग करके अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों में आक्रोश भडका दिया। इससे पहले सिरोही के विधायक ओटाराम देवासी के भजनलाल मंत्रीमंडल में शामिल होने के बाद माउण्ट आबू आगमन पर उनके स्वागत समारोह में भी ये बात मौखिक रूप से रखी गई थी। भाजपा में इस बार बडी संख्या में वो नेता हैं जिनके लिए संगठन में ही ये माना जाने लगा हैं कि वरिष्ठता के अनुसार वो अब माउण्ट आबू नगर पालिका के अध्यक्ष के लिए पात्र हो चुके हैं।

इनमें माउण्ट आबू के वर्तमान नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य, माउण्ट आबू नगर मंडल अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल, पार्षद मांगीलाल काबरा के अलावा हाल मे ंही भाजपा में शामिल होकर भाजपा की जिला उपाध्यक्ष बनीं गीता अग्रवाल भी शामिल हैं। इसी मान्यता ने भाजपा के माउण्ट आबू के सामान्य वर्ग के नेताओं की महत्वाकांक्षाओं के पर लगा लिए और उन्होंने से बात लिखित मे ंदेने की भूल कर दी। इस ज्ञापन के बाद उपजे विवाद में रोटेशन के हिसाब से यदि इस पद के सामान्य के लिए आरक्षित होने की संभावना होती तो उसे भी भाजपा ने विवादों में ंडाल दिया है।