नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने चंडीगढ़ में आज महापौर, वरिष्ठ उप महापौर एवं उप महापौर के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी के अंदरूनी दबाव और जबरदस्ती से नाराज़ होकर पार्षदों जानबूझ कर अपने वोट अमान्य कराए हैं।
भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि चंडीगढ़ महापौर, वरिष्ठ उप महापौर एवं उप महापौर के चुनाव में कुछ पार्षदों ने अपने वोट ‘इनवैलिड’ (अमान्य) कराए हैं। मतपत्र पर हस्ताक्षर करने कानूनन जरूरी होते हैं।
उन्होंने कहा कि इस चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से बयानबाजी हुई है जो पूरी तरह से निराधार है। दरअसल आम आदमी पार्टी कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद पार्षदों को पंजाब में ले जाकर कैद कर लिया गया, उनके फोन जमा करा लिए गए थे और उन्हें अपने परिवार से भी बात नहीं करने दी गई।
इसबीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इंडी गठबंधन नहीं करने के बयान के बाद लोगों की सोच बदलने लगी। इससे कांग्रेस के मन में कुछ और चलने लगा। इसकी भनक राघव चड्ढा को नहीं थी। उधर, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और बिहार में नीतीश कुमार के इंडी गठबंधन से बाहर आने से कांग्रेसी पार्षदों का मनोबल टूट गया।
तावड़े ने कहा कि बाद में चड्ढा के बयानों के बाद कांग्रेसी पार्षदों ने अपने वोट ‘इनवैलिड’ करवा दिए। उन्होंने कहा कि यदि आम आदमी पार्टी को महापौर के चुनाव में संदेह हो गया था तो वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के चुनाव का बहिष्कार क्यों नहीं किया। उन्हें समझना चाहिए कि असंतुष्ट पार्षद भाजपा को वोट नहीं देना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने वोट जानबूझ कर इनवैलिड कराए गए हैं। अत: भाजपा की जीत कानूनी रूप से वैध है। उन्होंने कहा कि यह परिणाम आम आदमी पार्टी के नेतृत्व के व्यवहार की नकारात्मक प्रतिक्रिया है।
चंडीगढ़ में आज हुए शहरी निकाय चुनाव में महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के तीनों पदों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। पार्टी के उम्मीदवार मनोज सोनकर, शहर के महापौर निर्वाचित घोषित किए गए हैं। आप और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। मनोज सोनकर ने इंडी गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 4 वोटों से हरा दिया। सोनकर को 16 वोट मिले। वहीं, कुलदीप टीटा को केवल 12 वोट से संतोष करना पड़ा। आठ वोट अमान्य करार दिए गए।
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर भी इन चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस तरह से कुल 36 मतदाताओं ने इस चुनाव में वोट डाले। सदन में भाजपा के 14 पार्षद, आप के 13 तो कांग्रेस के सात पार्षद हैं। हरदीप सिंह शिरोमणि अकाली दल के एक मात्र पार्षद हैं। सदन में संख्या बल के लिहाज से भाजपा के पक्ष में 15 और इंडी गठबंधन के पक्ष में 20 वोट थे।
पहले शिरोमणि अकाली दल के पार्षद ने पहले बहिष्कार करने की बात कही थी। हालांकि उन्होंने भी वोट डाला। भाजपा को अपने 15 वोट के अलावा एक अतरिक्त वोट भी मिला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह वोट अकाली पार्षद हरदीप सिंह का हो सकता है। इंडी गठबंधन के 20 पार्षदों में से सिर्फ 12 के वोट मान्य करार दिए गए। उनके आठ के वोट अमान्य हो गए। इस तरह से संख्या बल में बहुमत से कम होने के बाद भी भाजपा ने चुनाव जीत लिया।
उधर, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर कई वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं।