अजमेर। भारतीय जैन संगठन (बीजेएस) ने राजस्थान के 17 जिलों में स्वयं के खर्चे पर जलस्रोतों के संरक्षण और संवर्धन का बीड़ा उठाया है।
संगठन के राजस्थान जल संरक्षण प्रभारी राजकुमार बाफना तथा अजमेर चैप्टर अध्यक्ष राकेश बरमेचा ने बताया कि संगठन का कलक्टर की सहमति के बाद जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ एमओयू कर लिया गया है।
उसके बाद जिला परिषद की ओर से जिले के विकास अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके अधीनस्थ पानी की अत्यधिक समस्या वाले क्षेत्रों के जल स्रोतों को चयनित कर पांच दिवस में सूचित करने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि ‘डिमांड’ आते ही बीजेएस काम शुरू कर देगा।
बाफना ने बताया कि वर्ष 2022 से ही संगठन इस दिशा में काम कर रहा है। भारत सरकार से देश में 100 जिले पूरे देश में आवंटित हैं। राजस्थान में भी अजमेर, जयपुर, बाड़मेर, बालोतरा, बूंदी, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, जालौर, जोधपुर, कोटा, पाली, राजसमंद, सांचौर, सिरोही, उदयपुर जिले में काम चल रहा है।
उन्होंने बताया कि संगठन गत वर्ष 12 जिलों में 36 जलाशयों में खुदाई का काम अपनी मशीनों के जरिए कर चुका है। सूखे जलाशयों से निकलने वाली मिट्टी किसानों को निःशुल्क देने का काम होता है। वे इस जल क्रांति योजना के लिए सरकार से कोई पैसा नहीं लेते।
उन्होंने बताया कि संगठन के पूना स्थित मुख्यालय पर वार रूम नियंत्रण कक्ष के रूप में स्थापित है, जहां दिन प्रतिदिन के आंकड़े दर्ज किए जाते हैं। महाराष्ट्र का वुलडाना, संगठन कार्य का महत्वपूर्ण उदाहरण है। उन्होंने दोहराया कि जहां कोई नहीं पहुंचता वहां बीजेएस पहुंचता है। सभी रेकार्ड नीति आयोग के पोर्टल पर दर्ज होता है, जोकि आपदा प्रबंधन, जल शक्ति मिशन आदि से जुड़ा है।