मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक महिला को मेडिकल गर्भपात (एमटीपी) कराने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनका किया है कि विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला है कि वह इस प्रक्रिया के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है।
न्यायमूर्ति एसजी डिगे और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की अवकाशकालीन पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि याचिकाकर्ता सर्जरी करवाती है, तो इससे भविष्य में गर्भधारण के लिए और जटिलताएं पैदा होंगी। संभावना है कि बच्चा जीवित पैदा हो। इसके अलावा याचिकाकर्ता मेडिकल गर्भपात कराने के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है।
याचिकाकर्ता महिला अपनी याचिका दायर करने के समय 31 सप्ताह और पांच दिन की गर्भवती थी। उन्होंने भ्रूण में जन्मजात विसंगति के कारण गर्भपात कराने की मांग की थी और एमटीपी अधिनियम के अनुसार 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य है।
महिला की अधिवक्ता मनीषा जगताप ने कहा कि गत छह दिसंबर को किए गए अल्ट्रासाउंड में भ्रूण की हृदय संबंधी स्थिति का पता चला। याचिकाकर्ता और उसके परिवार ने गर्भावस्था को जारी रखने के कारण होने वाली मानसिक पीड़ा का हवाला देते हुए एमटीपी कराने की अनुमति देने का आग्रह किया था।
न्यायालय ने मामले का आकलन करने के लिए श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सर्वोपचार रुग्नालय, सोलापुर में एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया। गत 23 दिसंबर के अल्ट्रासाउंड पर आधारित बोर्ड की रिपोर्ट में गर्भपात से जुड़े महत्वपूर्ण जोखिमों पर प्रकाश डाला गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भ की आयु 32 सप्ताह और दो दिन थी, और भ्रूण के जीवित रहने की बड़ी संभावना है और इसके लिए एनआईसीयू देखभाल की आवश्यकता थी।